WFH Closed: कोरोना (Covid) भले ही न गया हो लेकिन उससे होने वाली मौत का डर खत्म हुए करीब दो साल बीत चुके हैं. यही वजह है कि दुनियाभर के कई संस्थानों ने अपने-अपने कर्मचारियों को लंबा समय बीतने के बाद वर्क प्लेस यानी दफ्तर बुलाने का फैसला किया. एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब  95% कर्मचारी या संस्थानों में वर्क फ्रॉम होम कल्चर खत्म हो चुका है. लेकिन बहुत सी जगहों पर खासकर विदेशों में ये सुविधा अब भी जारी है. अब वर्क फ्रॉम होम कल्चर को खत्म करने वालों को एक एक्सपर्ट ने डॉयनासोर की संज्ञा दी है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के एलायंस मैनचेस्टर बिजनेस स्कूल में संगठनात्मक मनोविज्ञान और स्वास्थ्य के प्रोफेसर सर कैरी कूपर ने चेतावनी दी है कि सप्ताह में पांच दिन कर्मचारियों को ऑफिस बुलाने पर अड़ी कंपनियां प्रतिभाशाली कर्मचारियों को खोने का जोखिम उठा रही हैं. उनका ये फैसला भविष्य में एक ओर जहां अच्छे कर्मचारियों के गले की फांस यानी उनके करियर के लिए नासूर बनेगा. वहीं दूसरी ओर कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन को भी कमजोर करेगा. 


सर कूपर ने कहा, 'दुर्भाग्य से कुछ संगठन और कंपनियां लोगों को सप्ताह में पांच दिन काम के माहौल में वापस लाने की कोशिश करने के बारे में सोच रही हैं. मुझे लगता है कि वे हमारे युग के डायनासोर हैं.'


कौन हैं सर कूपर?


सर कैरी कूपर, वर्क प्लेस और सर्विस सेक्टर में बतौर एक्सपर्ट एक जाना माना चेहरा है.  सर कूपर ने ही 1980 के दशक में प्रजेंटीज़्म शब्द गढ़ा था जो उन स्टाफ सदस्यों का वर्णन करता है जो काम पर हैं लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं. उनकी ये टिप्पणी तब आई है जब ब्रिटेन में लेबर पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार श्रमिकों के अधिकार कानून में कई बदलाव करने की तैयारी कर रही है. इसमें स्टाफ को काम के पहले दिन से ही लचीले कामकाज का विकल्प उपलब्ध कराने की भी योजना है. 


हालांकि कुछ कारोबारी नेता प्रस्तावित बदलावों से खुश नहीं हैं और उनका कहना है कि इससे रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. प्रस्तुतीकरणवाद के बारे में बात करते हुए कूपर ने कहा, 'लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता नहीं बढ़ती, बल्कि स्वास्थ्य खराब होता है.'


Anna Sebastian Perayil death: हाल ही में एक्स्ट्रा वर्कलोड से गई CA की जान


MNC अर्न्स्ट एंड यंग (EY) की CA एना सेबेस्टियन की मौत ने सबको हैरान कर दिया है. सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. लोग कंपनी को खरी-खोटी सुना रहे हैं. चार्टेड अकाउंटेंट की मां ने युवती के बॉस पर आरोप लगाया है कि उनके बेटी के बॉस ने उससे इतना काम लिया कि वो तनाव में थी. उसके ऊपर लगातार ज्यादा से ज्यादा काम का प्रेशर डाला जा रहा था, आखिर काम के बोझ में दबी उनकी बेटी की मौत हो गई. सीए एना सेबेस्टियन की मौत ने सबको हैरान कर दिया है. एना के मौत के मामले में सोशल मीडिया पर जमकर आक्रोश है, मां के लिखे लेटर के बाद अब इस मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है.


बच्ची की मौत का सदमा झेल रही उसकी मां ने कंपनी के नाम लेटर लिखा है, जिसे पढ़ हर किसी की आंखे नम हो जाएगी. अब इस मामले में सरकार ने भी दखल दिया है. केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने कहा है कि उसने शिकायत दर्ज कर ली है और एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत के कारणों की जांच की जाएगी.