न्यूयॉर्क : ट्विटर के बाद अब सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक ने भी कहा है कि वह मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से आए प्रवासियों का डेटाबेस बनाने संबंधी अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तथा-कथित योजना का हिस्सा नहीं बनेगा।


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मार्क जुकरबर्ग के नेतृत्व वाले फेसबुक ने पुष्टि की है कि वह मुस्लिम रजिस्ट्री बनाने में ट्रम्प की मदद नहीं करेगा। ट्रम्प प्रशासन की नीतियों के खिलाफ बड़ी संख्या में पेशेवरों द्वारा आवाज उठाए जाने के बाद यह खबर आयी है।


‘सीएनएन मनी’ के अनुसार, फेसबुक के एक प्रवक्ता का कहना है, ‘हमसे किसी ने मुसलमान रजिस्ट्री तैयार करने को नहीं कहा है, और हम ऐसा करेंगे भी नहीं।’ फेसबुक, एप्पल और गूगल सहित देश की नौ बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों में से सिर्फ ट्विटर ने ही पहले कहा कि यदि मुसलमानों की रजिस्ट्री तैयार करने में ट्रम्प मदद मांगते हैं, तो वह कोई सहायता नहीं करेगा।


सोशल मीडिया कंपनियां भले ही डेटाबेस बनाने के पक्ष में नहीं हों, लेकिन डेटा ब्रोकर्स के पास इंटरनेट ब्राउज करने के पैटर्न पर आधारित अच्छी खासी सूचना है। फेडरल ट्रेड कमीशन की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, ये कंपनियां अपने उपयोक्ताओं को नस्ल, जातीयता और धर्म सहित अन्य श्रेणियों में बांट सकती हैं।


ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका में रहने वाले मुसलमानों का डेटाबेस तैयार करने की बात कही थी।