Afghanistan News:  उत्तरी अफगानिस्तान के बगलान प्रांत में अचानक आई बाढ़ में कम से कम 50 लोग मारे गए हैं. मृत्कों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. द गार्डियन के मुताबिक संख्या की पुष्टि प्रांतीय प्राकृतिक आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख हेदायतुल्ला हमदर्द ने की, जिन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह बढ़ सकती है.


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हमदर्द ने कहा, 'आपातकालीन कर्मी अभी भी 'राष्ट्रीय सेना और पुलिस के सुरक्षा बलों की मदद से कीचड़ और मलबे के नीचे संभावित पीड़ितों की तलाश कर रहे हैं.'


भारी मौसमी बारिश से आई बाढ़
बाढ़ का कारण भारी मौसमी बारिश बताया जा रहा है. अचानक आई बाढ़ से निपटने के लिए लोग तैयार नहीं थे.  हमदर्द ने कहा, 'अभी मौसम बहुत खराब है और फिर से बारिश हो सकती है.'


अधिकारी ने कहा, जिन लोगों ने अपने घर खो दिए हैं, उन्हें दर्जनों तंबू, कंबल और भोजन उपलब्ध कराया गया है.


सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो
द गार्डियन के मुताबिक सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो फुटेज में सड़कों पर कीचड़ भरे पानी की भारी धार दिखाई दे रही है - और शव सफेद और काले कपड़े में ढके हुए नजर आ रहे हैं. एक क्लिप में बच्चे रो रहे हैं और पुरुषों का एक समूह बाढ़ के पानी को देख रहा है, जिसमें टूटी हुई लकड़ी के टुकड़े और घरों का मलबा देखा जा सकता है.


10 प्रांतों में बाढ़ ने ली 100 लोगों की जान
अधिकारियों के अनुसार, अप्रैल के मध्य से, बाढ़ ने अफगानिस्तान के 10 प्रांतों में लगभग 100 लोगों की जान ले ली है. बाढ़ से कोई भी क्षेत्र नहीं बचा है. इसकी वजह से देश में कृषि भूमि दलदली हो गई है. बता दें अफगानिस्तान में 40 मिलियन से अधिक लोगों में से 80% जीवित रहने के लिए कृषि पर निर्भर हैं.


जलवायु संकट के लिए जोखिम वाला देश
अफगानिस्तान में अपेक्षाकृत शुष्क सर्दी पड़ती है जिससे मिट्टी के लिए वर्षा को अवशोषित करना अधिक कठिन हो जाता है. जलवायु संकट के प्रति संवेदनशील है.


चार दशकों के युद्ध से तबाह, यह दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है और वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों का सामना करने के लिए सबसे कम तैयार देशों में से एक है.


एक्स्टपर्ट्स का कहना है कि अफगानिस्तान दुनिया के केवल 0.06% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है, लेकिन जलवायु संकट से सबसे अधिक जोखिम वाले देशों की सूची में छठे स्थान पर है.


विश्व बैंक के अनुसार, अफगानिस्तान की आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है और 1.5 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.


(Photo-File)