जिस चेर्नोबिल में न्यूक्लियर रेडिएशन से इंसान मर जाए, वहां 30 साल बाद मेंढक मौज काट रहे हैं! स्टडी ने चौंकाया
Chernobyl Disaster : यूक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुई त्रासदी इतनी खौफनाक थी कि आज भी सैंकड़ों किलोमीटर तक यहां कोई नहीं रहता है लेकिन हाल ही में एक स्टडी में यहां मेंढक मजे से घूमते पाए गए.
Chernobyl Case Study : यूक्रेन के चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुए हादसे को 30 वर्ष होने को हैं और आज भी यहां खतरनाक विकिरणों का प्रभाव है. इसके चलते आज भी इस जगह से दूर-दूर तक का इलाका सुनसान पड़ा है. हालांकि यहां रिसर्च के लिए विशेषज्ञ आते रहते हैं और नई-नई खोज करते रहते हैं. ऐसी ही एक रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया है कि चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट के आसपास में मेंढक मिले हैं.
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मिले 256 नर मेंढक
बायोलॉजी लेटर्स में प्रकाशित हुए अध्ययन के अनुसार, 'चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट हुए विस्फोट के कारण यहां के पर्यावरण में बड़े पैमाने पर रेडियोएक्टिव मटेरियल रिलीज हुए. इसके चलते मनुष्यों और वन्यजीवों दोनों को गंभीर नतीजे भुगतने पड़े. लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वर्तमान में विकिरण का जो स्तर है उसमें पारिस्थितिकी और जंगली आबादी के विकास को आकार देने की क्षमता है या नहीं.'
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शोधकर्ताओं ने 2016-2018 तक इस इलाके के तालाबों से 256 नर मेंढक एकत्र किए. साथ ही मेंढकों की उम्र, कॉर्टिकोस्टेरोन नामक तनाव हार्मोन के स्तर और उनके टेलोमेरेस की लंबाई का अध्ययन किया.
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मेंढकों की सेहत भी अच्छी
साथ ही टीम ने यह भी देखा कि मेंढकों ने कितना विकिरण अवशोषित किया है. उन्होंने 197 मेंढकों का विस्तार से अध्ययन किया, ताकि उनकी उम्र का सबसे सटीक अनुमान लगाया जा सके. इसमें पाया गया कि अवशोषित विकिरण और उनके हेल्थ इंडीकेटर के बीच कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं था. यानी कि मेंढकों की सेहत भी काफी अच्छी थी.
बता दें 26 अप्रैल 1986 की अलसुबह चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में एक भयंकर विस्फोट हुआ, जिसमें सीधे तौर पर तो 31 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन साल 1991 से 2015 के बीच थाइरॉयड कैंसर के 20 हजार मामले दर्ज किए गए. इनमें से ज्यादातर मरीज 18 साल से कम के थे. इसके अलावा कैंसर के कई और मामले भी सामने आए हैं. इसे दुनिया का सबसे बुरा परमाणु हादसा कहा जाता है क्योंकि हादसे के इतने साल बाद भी वैज्ञानिक अब तक इस सवाल का जवाब नहीं खोज पाए हैं कि यहां से विकिरण यानी रेडिएशन का असर कब खत्म होगा.