चीन वैसे तो खुद को विस्तारवादी ताकत कहने से परहेज करता है लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है. वन बेल्ट, वन रोड के जरिए वो दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया, अफ्रीका में अपनी बादशाहत कायम करने में जुटा हुआ है, मदद के नाम पर कर्ज के जाल में फंसा लेता है. इन सबके बीच दक्षिण चीन सागर का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है. आसियान के सदस्य देश अभ्यास कर रहे हैं जिसे लेकर चीन ने आपत्ति जताई तो दुनिया के सात ताकतवर मुल्कों ने चीन की कड़ी आलोचना की.


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जी-7 के देश बिफरे


पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन की चालबाज नजर के बारे में जी 7 देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि जिस तरह से चीन इस इलाके में सैन्यीकरण के साथ साथ उकसाने वाली कार्रवाई कर रहा है वो बर्दाश्त के बाहर है, चीन एकतरफा बल प्रयोग के जरिए अपना विस्तार कर रहा है. ताइवान की खाड़ी में शांति का बने रहना ना सिर्फ उस क्षेत्र बल्कि दुनिया के लिए भी जरूरी है. जी 7 देशों ने कहा कि स्पष्ट तौर पर अगर कोई विवाद है तो उसका निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए.


'यूएन चार्टर का चीन करे सम्मान'


जी 7 के देशों ने कहा कि चीन को वियना कंवेंश्न का सम्मान करना चाहिए. यह कहीं से उचित नहीं है कि वो एक तरफा हस्तक्षेप करने वाली कार्रवाई करे. अमेरिका ने कहा कि प्रजातांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने के साथ आर्थिक खुशहाली पर भी ध्यान देने की जरूरत है. चीन की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जो इन मूल्यों के खिलाफ हो. चीन को संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए. लेकिन इस्ट और साउथ चाइना सी के मुद्दे पर वहां के हुक्मरान कुछ भी बोलने से बचने की कोशिश करते हैं. सदस्य देशों ने कहा कि ताइवान और वन चाइना पॉलिसी के मुद्दे पर नजरिए में किसी तरह का बदलाव नहीं है.