उत्तर भारत ही नहीं, सऊदी अरब और दुनिया के कई देश भीषण गर्मी झेल रहे हैं. सऊदी अरब में भीषण गर्मी के बीच बड़ी संख्या में हज यात्री पहुंचे. यहां शैतान को प्रतीकात्मक रूप से पत्थर मारने की रस्म अदा करने के बीच कई श्रद्धालुओं की लू लगने से मौत हो गई. जॉर्डन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘पेट्रा’ ने खबर दी है कि जॉर्डन के 14 श्रद्धालुओं की गर्मी से मौत हो गई है. वहां का विदेश मंत्रालय सऊदी अरब में मृतकों को दफनाने या शव को जॉर्डन भेजने के लिए सऊदी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है. इस साल 18 लाख से ज्यादा हज यात्री सऊदी पहुंचे हैं.  


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कुछ मीडिया रिपोर्ट में मृतकों का आंकड़ा 19 और 30 तक बताया गया है. सोशल मीडिया में कुछ वीडियो भी सामने आए हैं जिसमें दावा किया गया है कि सऊदी गए हज यात्रियों की मौत हुई तो डेडबॉडी सड़क पर ही काफी देर तक पड़ी रही. लोगों को डेडबॉडी के बीच रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस बार लोगों ने काफी अव्यवस्था और बदइंतजामी की बात कही है. 


2 डिग्री बढ़ गया तापमान


पहले भी हज यात्रा के दौरान भगदड़ और आग लगने की घटनाएं हुई हैं. इस बार काफी बदइंतजामी के आरोप लगे हैं. ज्यादातर सालों में देखा गया है कि हज यात्रा में सबसे बड़ी चुनौती विकराल गर्मी से पैदा होती है. कुछ दिन पहले सऊदी में तापमान 46 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. हज यात्रा के दौरान कई रस्में खुले आसमान के नीचे होती हैं और बुजुर्गों को पैदल चलना काफी खल जाता है. वैसे, सऊदी के मौसम विभाग ने पहले ही आगाह किया था कि मक्का और मदीना में औसत तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ सकता है. पांच दिन की हज यात्रा में यही दो शहर महत्वपूर्ण होते हैं. 


बड़ी संख्या में हज यात्रियों को गर्मी लगने के कारण डॉक्टर के पास जाना पड़ा. सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की है कि हज यात्री पानी पीते रहे और बाहर कम से कम रहें. खास तौर से सुबह 10 बजे से दोपहर बाद 4 बजे तक गर्मी ज्यादा होती है. 


हज यात्रा में सबसे बड़ी घटना 2015 में घटी थी जब भगदड़ में 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. 


शैतान को पत्थर मारना इस्लाम के पांच स्तंभों और हज की अंतिम रस्मों में से एक है. यह रस्म पवित्र शहर मक्का के बाहर अराफात की पहाड़ी पर 18 लाख से अधिक हज यात्रियों के एकत्र होने के एक दिन बाद हुई, जहां हज यात्री हज की वार्षिक पांच दिवसीय रस्में पूरी करने आते हैं.