Hajj Pilgrimage Death Toll Climbs To over 1,000: भीषण गर्मी के बीच आयोजित हज यात्रा में मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो गई है. इनमें से आधे से अधिक गैर-पंजीकृत श्रद्धालु थे. एएफपी के मुताबिक लगभग 10 देशों ने वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 1,081 मौतें  होने की सूचना दी है. मृत तीर्थयात्रियों को दफनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. नियमों के तहत उन्हें सऊदी अरब में ही दफनाया जा रहा है.


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68 भारतीयों की मौत
एएफपी के मुताबिक सऊदी अरब में एक डिप्लोमेट ने बुधवार को कहा कि हज यात्रा के दौरान 68 भारतीय नागरिकों की मौत हो गई. नाम न बताने की शर्त पर बात करने वाले उसने कहा, 'हमने लगभग 68 लोगों की मौत की पुष्टि की है... कुछ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है और हमारे पास कई बुजुर्ग तीर्थयात्री भी थे। और कुछ की मौत मौसम की स्थिति के कारण हुई है, ऐसा हमारा अनुमान है.'


हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और सभी मुसलमानों को कम से कम एक बार हज अवश्य करना चाहिए.


मक्का में पारा 51 के पार
हज का समय चंद्र इस्लामी कैलेंडर (Lunar Islamic calendar) के अनुसार निर्धारित होता है, इस साल फिर से यह भीषण गर्मी के बीच पड़ी. राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने मक्का की ग्रैंड मस्जिद में इस सप्ताह 51.8 डिग्री सेल्सियस (125 फ़ारेनहाइट) का उच्चतम तापमान दर्ज किया.


हज यात्रा के दौरान कई कारणों से तीर्थयात्रियों की मौत हो जाती है जिसमें भीड़ से कुचल कर, बीमारी या गर्मी से होने वाली मौतें शामिल हैं. इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी को अधिकतर मौतों की वजह बताया जा रहा है.


सऊदी अरब ने नहीं दी आधिकारिक जानकारी
हालांकि सऊदी अरब ने आधिकारिक तौर पर मौतों की जानकारी नहीं दी है, उसने सिर्फ रविवार को ही ‘भीषण गर्मी’ से निढाल होने वालों के 2700 से अधिक मामलों की सूचना दी है.


एएफपी के मुताबिक एक अरब राजनयिक ने बताया कि गुरुवार को रिपोर्ट की गई नई मौतों में 58 मिस्र के लोग शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मरने वाले 658 मिस्रियों में से 630 अनरजिस्टर्ड तीर्थयात्री थे.


डिप्लोमेट ने कहा कि मिस्र के तीर्थयात्रियों की मौत का मुख्य कारण गर्मी है, जिससे उच्च रक्तचाप और अन्य समस्याओं से जुड़ी जटिलताएं पैदा हो रही हैं.


शवों का अंतिम संस्कार
सवाल उठता है कि हज के दौरान तीर्थयात्री की मौत होने पर शव उसके देश भेजा जाता है या फिर अंतिम संस्कार सऊदी अरब में ही किया जाता है. 


बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब के हज संबंधित कानून में यह स्पष्ट है कि अगर हज के दौरान किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसका शव उसके देश में नहीं भेजा जाता. उसे सऊदी अरब में ही दफना दिया जाता है.


हज यात्रा की तैयारी करते समय हर व्यक्ति हज से संबंधित एक आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करता है. उसमें लिखा होता है कि अगर सऊदी अरब की ज़मीन पर या आसमान में उसकी मौत हो जाती है तो उसके शव को वहां दफना दिया जाएगा. उनके परिवार या परिजनों की कोई आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी.


शुरू हुआ शवों को दफनाना
दो राजनयिकों ने गुरुवार को एएफपी को बताया कि सऊदी अधिकारियों ने मृत तीर्थयात्रियों को दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें शवों को साफ करना, उन्हें सफेद कपड़े में लपेटना और उन्हें अलग-अलग कब्रों में दफनाना शामिल है.


एक डिप्लोमेट ने कहा, 'शवों को दफन सऊदी अधिकारियों द्वारा किया जाता है। उनके पास अपनी खुद की प्रणाली है, इसलिए हम बस उसी का पालन करते हैं.' उन्होंने बताया कि उनका देश मृतकों के प्रियजनों को यथासंभव सूचित करने के लिए काम कर रहा है.


दूसरे डिप्लोमेट ने कहा कि मौतों की संख्या को देखते हुए कई परिवारों को समय से पहले सूचित करना असंभव होगा, खासकर मिस्र में, जहां बहुत से लोग मारे गए है.


अनियमित यात्री
हर साल हजारों तीर्थयात्री अनियमित चैनलों के जरिए हज करने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे आधिकारिक हज वीजा के लिए अक्सर महंगी प्रक्रियाओं का खर्च नहीं उठा सकते.


इन गैर-बुक तीर्थयात्रियों के लिए जोखिम अधिक होता है. ये लोग हज रूट पर सऊदी प्रशासन की ओर से प्रदान की गई एयर-कंडीशन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर सकते.


एएफपी के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में, सऊदी अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने हज से पहले मक्का से सैकड़ों हज़ारों अपंजीकृत तीर्थयात्रियों को निकाल दिया था लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कई लोगों ने पिछले शुक्रवार से शुरू हुई मुख्य रस्मों में भाग लिया.