India China News in Hindi: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की आंख पर मेड इन चाइना पट्टी बंधी हुई है और वो अब सिर्फ चीन के इशारे पर काम कर रहे हैं . भारत के साथ चल रहे विवाद के बीच मालदीव ने एक और नापाक चाल चल दी है . चीन के जिस जासूसी जहाज को श्रीलंका ने अपने देश में घुसने से रोक दिया है..अब उसी जहाज को मालदीव अपने देश में बुला रहा है. माना जा रहा है कि चीन उस जासूसी जहाज से हिंद महासागर में भारत के खिलाफ जासूसी करेगा. 


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भारत से समझौता तोड़ चीन से मिलाया हाथ


रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव ने भारत के साथ समुद्री सर्वेक्षण के समझौते को खत्‍म करने के बाद अब चीन के साथ हाथ मिला लिया है. मालदीव और चीन मिलकर अब हिंद महासागर का सर्वेक्षण करेंगे. इसके लिए चीनी सेना का जासूसी जहाज शियांग यांग होंग 03 आगामी 30 जनवरी को मालदीव की राजधानी माले पहुंच रहा है. 


फरवरी में माले पहुंचेगा चीनी जहाज


इस जहाज के फरवरी की शुरुआत में मालदीव की राजधानी माले पहुंचने की संभावना है. चीनी जासूसी जहाजों की हिंद महासागर में मौजूदगी पर भारत समेत दुनिया के कई देश आपत्ति जता चुके हैं. दरअसल इस चीनी जासूसी जहाज़ को पहले श्रीलंका पहुंचना था और वहां से गहरे समुद्र में सर्वे का काम शुरू करना था. लेकिन भारत और अमेरिका के ऐतराज़ के बाद श्रीलंका ने पिछले महीने यानी दिसंबर में एक साल के लिए किसी भी विदेशी जहाज़ के अपनी समुद्री सीमा में सर्वे पर रोक लगा दी है. 


चीन के साथ संबंध बढ़ा रहा मालदीव


इस रोक के बाद चीनी जहाज़ अपनी सर्वे मालदीव में शुरू करने वाला है. मालदीव में पिछले साल ही मोहम्मद मोइज़्जू की सरकार सत्ता में आई है. मोइज़्जू सरकार भारत विरोध के नाम पर ही चुनाव जीती है और सत्ता संभालने के बाद ही समझ आ गया कि भारत के दुश्मनों के साथ उसने पूरी तौर पर हाथ मिला लिया है. मोइज़्ज़ू ने सत्ता संभालने के बाद पहले तुर्की और उसके बाद चीन का दौरा किया. चीनी दौरे में मालदीव के साथ सैनिक संबंध गहरे करने पर सहमति बनी है.


सुरक्षा चिंताओं के नाम पर पीछे हटे मोइज्जू


मोइज़्जू सरकार ने 8 जून 2019 को हुए भारत के साथ हाइड्रोग्राफ़िक सर्वे करने के समझौते को भी रद्द कर दिया है. इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना मालदीव के समुद्र में समुद्र की धाराओं, उनकी तीव्रता, समुद्र के अंदर की संरचना का सर्वे कर रही थी. इस तरह के सर्वे से जो जानकारी मिलती है उसकी नौसैनिक और व्यापारिक दोनों ही  तरह के नौवहन में सहायता मिलती है. मालदीव ने इस समझौते को अपनी सुरक्षा और संवेदनशील जानकारियों को लेकर चिंताओं के नाम पर रद्द किया है. 


मालदीव के कंधे पर हाथ रख रहा ड्रैगन


अब मालदीव इस सर्वे के लिए चीन पर भरोसा कर रहा है. हालांकि चीन का ये जहाज़ नौसेना का हिस्सा नहीं है लेकिन सर्वे से मिलने वाली जानकारियों का इस्तेमाल चीनी नौसेना ही करेगी जो हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है. मालदीव की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के बीचोंबीच है इसलिए ये रणनैतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. चीन लंबे अरसे से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसेना को मज़बूत कर रहा है. 


हिंद महासागर में मौजूदगी बढ़ा रहा चीन


चीनी नौसेना पिछले एक दशक में 250 जहाज़ों से बढ़कर 350 ताक़तवर जहाज़ों से लैस हो गई है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के 5 से लेकर 9 बड़े जंगी जहाज मौजूद रहते हैं. 2008 से चीन ने समुद्री डाकुओं से निबटने के नाम पर इस पूरे इलाक़े में अपने जहाज़ों की तैनाती शुरू की थी. यहां तक कि चीन ने अपनी न्यूक्लियर सबमरीन को भी यहां तैनात किया है. चीन के जासूसी जहाज़ों की मौजूदगी पर वियतनाम और फिलीपींस भी नाराज़गी जता चुके हैं. 


हालांकि अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक सर्वे करने वाले जहाज़ों को खुले समुद्र में आने-जाने की अनुमति है. भारत की चिंता ये रहती है कि ये जासूसी जहाज ताक़तवर रडारों से लैस होते हैं और इनके जरिए उड़ीसा के तट पर होने वाले मिसाइल परीक्षणों पर चीन नज़र रख सकता है.


बड़े रडारों से लैस है जासूसी जहाज


आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि जासूसी जहाज जियांग यॉन्ग हॉन्ग 3 से किस तरह की जासूसी हो सकती है. इस जहाज में बड़े-बड़े रडार, सैटेलाइट और सेंसर लगे हैं. जिनके जरिए सैकड़ों किलोमीटर सैन्य ठिकानों की निगरानी की जा सकती है. चीन जासूसी जहाज के जरिए भारतीय नेवी के ईस्टर्न कमांड में तैनात युद्धपोत, पनडुब्बी और भारतीय नौसेना के बेस पर निगरानी करने की कोशिश में रहता है. यहां तक कि जासूसी जहाज के जरिए चीन ओडिशा के तट पर होने वाले मिसाइल परीक्षणों पर भी नजर रख सकता है.


इसी लिए वो पिछले करीब 5 सालों से हिंद महासागर में चक्कर काट रहा है, ताकि उसके भारत की जासूसी करने के लिए ठिकाना मिल जाए. चीन का ये जासूसी जहाज साल 2019 में बंगाल की खाड़ी में था. 2020 में इसकी मौजूदगी अरब सागर में थी. इसके बाद ये पिछले 2 सालों तक श्रीलंका के हंबनटोटा और कोलंबो बदरगाह भी लंगर डाले रहा है. मौजूदा समय में ये इंडोनेशिया के पास है और वहां से मालदीव के लिए रवाना हो चुका है. 


सर्वे रिपोर्ट का चीनी नौसेना करेगी इस्तेमाल


मोइज्जू सरकार ने भारत के साथ बरसों पुराना हाइड्रोग्राफ़िक समझौता भी चीन के दबाव में रद्द कर दिया था, अब उसने चीन को अपने देश की समुद्री सीमा में सर्वे की इजाजत दे दी है . चीन जिस जहाज को मालदीव भेज रहा है वो जहाज़ नौसेना का हिस्सा नहीं है लेकिन सर्वे से मिलने वाली जानकारियों का इस्तेमाल चीनी नौसेना ही करेगी . 


भारत के डिफेंस एक्सपर्ट चिंतित


मोइज्जू की इस हरकत पर मालदीव के विपक्षी दल ही नहीं बल्कि भारत के रक्षा विशेषज्ञ भी चिंता जता रहे हैं. डिफेंस एक्सपर्ट कर्नल (रिटा.) सुशील सिंह पठानिया कहते हैं, पहले चीन ने श्रीलंका को भी कर्ज के जाल में फंसाया था, जिसके बाद उसकी अर्थव्यवस्था डूब गई. उसे इस स्थिति से निकालने में भारत समेत कई देशों ने मदद दी. इस वक्त भी भारत श्रीलंका को मदद दे रहा है. ऐसे में अगर भविष्य में यही हाल मालदीव के साथ हो गया तो उसे कौन बचाने के लिए आएगा. 


मालदीव की भौगोलिक स्थिति हिंद महासागर के बीचों बीच है इसलिए ये रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण जगह है. चीन लंबे अरसे से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी नौसेना को मज़बूत कर रहा है और इसीलिए शी जिनपिंग ने मालदीव को अपने जाल में फंसा लिया है.