India China Sri Lanka Latest Update: भारत और चीन के रिश्ते की खटास तो जगजाहिर है, लेकिन इस बीच श्रीलंका ने भी कुछ ऐसा कर दिया कि भारत के लिए मुश्किलें बढ़ गईं हैं. भारत के विरोध करने के बाद भी श्रीलंका ने चीनी जहाज को कोलंबो बंदरगाह पर रुकने की इजाजत दे दी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन इस जहाज का इस्तेमाल जासूसी के लिए करता है. खबर है कि ड्रैगन का जहाज शियान 6 अक्टूबर को श्रीलंका पहुंच रहा है. श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि विदेश मंत्रालय के अनुरोध के बाद चीनी जहाज को श्रीलंका आने की इजाजत दी गई है. श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के मीडिया डायरेक्‍टर कर्नल नलिन हेराथ के मुताबिक शियान 6 एक 'रिसर्च शिप' है जो श्रीलंका के शोध करने वाले जहाजों के साथ मिलकर काम करेगा.


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इस वजह से है भारत को आपत्ति


हालांकि, यह चीनी जहाज कब तक श्रीलंका (India Sri Lanka) पहुंचेगा? इसकी तारीख का अब तक ऐलान नहीं किया गया है. चीन के सरकारी टीवी चैनल सीजीटीएन के मुताबिक शियान 6 एक ऐसा जहाज है जो समुद्री शोध में काफी मदद करता है और इसमें करीब 60 लोग आराम से आ सकते हैं. आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब भारत ने श्रीलंका से नाराजगी जाहिर की है. 


पहले भी पहुंचा था चीनी जहाज


इससे पहले हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन (India China) का जासूसी जहाज यूआन वांग 5 पहुंचा था तब भी भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी, क्योंकि वर्तमान में भारत और चीन के जैसे रिश्ते हैं. श्रीलंका का यह कदम भारत की सीमाओं के लिए खतरा पैदा कर सकता है. यह चीनी जहाज स्‍पेसक्राफ्ट से लेकर मिसाइलों की लॉन्चिंग की रीडिंग नोट करने में सक्षम है और उन्हें ट्रैक भी कर सकता है.


डेथ ट्रैप पॉलिसी का शिकार हुआ श्रीलंका


चीन ने अपने डेथ ट्रैप पॉलिसी में श्रीलंका (China Sri Lanka) को फंसाकर उसका हंबनटोटा बंदरगाह पहले ही अपने आधिपत्य में ले चुका है. श्रीलंका चीन के कर्ज तले दबा है इसकी वजह से वह चीन का विरोध करने की स्थिति में नहीं है. हाल ही में चीन की सेना का युद्धपोत हाई यांग 24 श्रीलंका पहुंचा था.


हाई यांग 24 करीब 2 दिनों तक श्रीलंका में रहा. यही वजह है कि भारत श्रीलंका पर दबाव बना रहा है लेकिन डिफॉल्‍ट हो चुका श्रीलंका चीन से आस लगाए बैठा है कि शायद यहां विदेशी कर्जों को पुर्नगठित करने में मदद मिल जाए. हालांकि श्रीलंका यह भी दावा करता है कि वह भारत को भी चीन के बराबर का महत्व देता है. बता दें कि वतर्मान में चीन पर 7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लदा हुआ है.