Indo-Japan Air Exercise Veer Guardian 23 in Tokyo: भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती नजदीकी से चीन पहले ही परेशान था. अब भारत के एक नए कदम से वह और बौखला गया है. द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की एक टुकड़ी जापान पहुंची है. अपने पड़ोस में भारतीय वायुसेना की मौजूदगी से चीन को मिर्च लग गई है. बौखलाहट में चीन ने कहा है कि जापान और भारत की इस मिलिट्री एक्सरसाइज से दोनों देशों की चीन के खिलाफ बढ़ रही सैन्य महत्वाकांक्षाओं का पता चलता है. 


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ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट


चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट वेइ डोंग्सू ने जापान-भारत की इस एयर एक्सरसाइज (Indo-Japan Air Exercise) पर रिपोर्ट लिखी है. इस रिपोर्ट में वेइ ने कहा कि दोनों देश अमेरिका के पिट्ठू हैं और उन्हें यूएस के उकसावे में ही जॉइंट मिलिट्री ड्रिल शुरू की है. चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि इस ड्रिल के पीछे दोनों देशों की अपनी-अपनी चाहतें छिपी हुई हैं. इस एक्सरसाइज के जरिए भारत जहां हिंद महासागर के पार अपनी सैन्य क्षमताएं दिखाकर दुनिया में एक शक्तिशाली देश के रूप में अपना नाम दर्ज करवाना चाहता है. वहीं जापान चाहता है कि अगले साल इस ड्रिल में भाग लेने के लिए जब उसकी वायुसेना भारत जाए तो उसके लिए भी बाहर ऑपरेशन करने का रास्ता खुल जाए. 


'चीन के सामने नहीं टिक पाएंगे'


चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि ताइवान के साथ चीन की जंग होने की सूरत में जापान हस्तक्षेप कर सकता है. इसके लिए वह अपनी ओर से योजना बना रहा है. वहीं भारत पहले से ही चीन के साथ सीमा विवादों में उलझा हुआ है. इसके बावजूद अगर दोनों में से किसी भी एक देश के साथ युद्ध की स्थिति पैदा होती है तो वे चीन के सामने कहीं नहीं टिक पाएंगे. उनके पास युद्ध करने के लिए न तो पर्याप्त इच्छा है और ही उनके अंदर यह क्षमता है. फिर भी किसी तरह के हालात से निपटने के लिए चीन को तैयार रहना चाहिए. 


26 जनवरी तक चलेगी ड्रिल


बता दें कि भारत-जापान की यह जॉइंट एयर एक्सरसाइज (Indo-Japan Air Exercise) 16 से 26 जनवरी तक चलेगी. यह ड्रिल जापान के हयाकुरी और इरुमा एयरबेस पर हो रही है. Veer Guardian-23 नाम से हो रही इस मिलिट्री ड्रिल में भारत के Su-30एमकेआई मल्टीरोल लड़ाकू विमान, दो C-17 ग्लोबलमास्टर ट्रांसपोर्ट प्लेन, एक Il-78 एरियल टैंकर और करीब 150 जवान हिस्सा ले रहे हैं. जापानी एयरफोर्स की ओर से इसमें 8 फाइटर जेट और इतने ही जवान हिस्सा ले रहे हैं. 


चीन से निपटने की बनेगी रणनीति


मिलिट्री एक्सपर्टों का कहना है कि इस युद्धाभ्यास (Indo-Japan Air Exercise) से दोनों देशों को चीन के संदर्भ में काफी कुछ सीखने का मौका मिलेगा. भारत की तरह चीन के पास भी रूस से खरीदे गए सुखोई जैसे विमान हैं या उनकी कॉपी कर बनाए गए जेट्स हैं. ऐसे में जापानी एयरफोर्स जान सकती है कि इन जहाजों की क्या खूबियां या कमियां हैं. जिससे  जंग की स्थिति में वह चीनी सेना को कड़ी टक्कर दे सकती है. वहीं भारत को यह फायदा होगा कि चीन से निपटने के लिए वह जापान की रणनीति को बेहतर तरीके से समझ सकेगा. 


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