India-Philippines BrahMos Missiles: फिलीपींस के लिए निर्यात होने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप अगले महीने तक रवाना हो जाएगी जबकि कई महत्वपूर्ण सिस्टम पहले ही भेजे जा चुके हैं. भारत की तीनों सेनाओं में ब्रह्मोस का लंबे अरसे से इस्तेमाल हो रहा है और 2022 में फिलीपींस के साथ इसका सौदा हुआ था. ये भारत का पहला बड़ा रक्षा उत्पाद निर्यात  है और अब कई देश ब्रह्मोस खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. खासतौर पर दक्षिण चीन सागर के देशों के साथ ब्रह्मोस के सौदे को लेकर भारत गंभीरता से चर्चा कर सकता है.


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इस सौदे से जुड़े हुए सूत्रों ने बताया कि फिलीपींस के साथ हुए सौदा तय समय में पूरा किया जा रहा है. कई महत्वपूर्ण ग्राउंड सिस्टम फिलीपींस भेजे जा चुके हैं और उनके कर्मचारियों को इसके रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.


मार्च में पहुंच जाएगी पहली खेप
मिसाइलों की पहली खेप मार्च में फिलीपींस पहुंच जाएगी. भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस की 3 बैटरियों का सौदा किया था. हर बैटरी में तीन फायरिंग यूनिट्स होंगी और हर यूनिट में 3 मिसाइलें होंगी. इन मिसाइलों का इस्तेमाल फिलीपींस अपनी तटीय सुरक्षा के लिए करना चाहता है जहां उसे चीन की तरफ से लगातार खतरा बना हुआ है.


मिसाइलों की होगी इतनी रेंज
फिलीपींस को दी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें 290 किमी की रेंज वाली होंगी और इनसे दुश्मन के जमीनी ठिकानों या जहाजों पर हमला किया जा सकेगा. भारत अपने लगभग सभी बड़े जंगी जहाज़ों को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस कर चुका है जिनकी रेंज 290 किमी से लेकर 450 किमी तक है.


फिलीपींस के अलावा इन देशों ने भी दिखाई दिलचस्पी
फिलीपींस दक्षिण चीन सागर के उन देशों में से है जो लंबे अरसे से चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं और भारत से सैनिक तकनीकी मदद चाहते हैं. फिलीपींस के अलावा इसी इलाके के वियतनाम और इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस में लगातार दिलचस्पी दिखा रहे हैं.


भारत के लिए भी इन देशों के साथ ब्रह्मोस का सौदा अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक स्तर पर फ़ायदे का है. दक्षिण चीन सागर के इन सभी देशों के साथ भारत सैनिक और रणनैतिक संबंध मज़बूत करना चाहता है ताकि चीन को उसके इलाक़े के पास ही घेरा जा सके. भारत ने पिछले दशक में इन देशों के साथ मोर्चाबंदी करने के लिए एक्ट-ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत की थी. इन देशों की सेनाओं को प्रशिक्षण देने और साझा सैनिक अभ्यास करने के बाद अब भारत इन्हें अच्छे हथियार भी देना चाहता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर चीन का मुक़ाबला कर सकें.