Impeachment Motion on President Mohammad Muizzu: भारत और पीएम मोदी के खिलाफ आंख दिखाने की हिमाकत करना मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को भारी पड़ रहा है. न केवल भारत ने उसकी डोर कस दी है बल्कि अब मालदीव के विपक्षी दल भी भारत से माफी की मांग पर मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ले आए हैं. उन्होंने संसदीय नियमों में ऐसे बदलाव भी कर दिए हैं, जिससे मुज्जू की कुर्सी कभी भी जा सकती है. अपने खिलाफ बनते माहौल से घबराए राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. जानकारी के मुताबिक संसद के स्थायी आदेशों में हुए हालिया संशोधन के ख़िलाफ़ मुइज़्ज़ू सरकार ने याचिका दाखिल की है.


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विपक्ष ने संसद में कर दिया खेला


ये पूरा विवाद नवंबर में 7 सांसदों के इस्तीफ़े से शुरू हुआ था. जिसके बाद मालदीव के चुनाव आयोग ने उपचुनाव न करवाने का फैसला किया क्योंकि वहां इसी साल संसदीय चुनाव होने हैं. इसी स्थिति का फायदा उठाते हुए मालदीव की संसद में बहुमत रखने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी एमडीपी ने संसद के स्थायी आदेशों में संशोधन कर दिया. संशोधन से ये तय हुआ कि सांसदों की कुल संख्या में खाली सीटों की गिनती नहीं की जाएगी. नतीजतन विपक्ष को राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने के लिए 58 के बजाय 54 वोटों की ज़रूरत होगी.


स्थायी आदेश में बदलाव के बाद मालदीव की संसद में सांसदों की कुल संख्या 87 के बजाय 80 है. यहां तक कि राष्ट्रपति को हटाने के लिए बीते हफ्ते ही मालदीव की राजनीति में धुर विरोधी माने जाने वाले डेमोक्रेट्स और एमडीपी भी साथ आ गए हैं. मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी ने राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए पहले ही हस्ताक्षर की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 


जा सकती है मुइज्जू की कुर्सी!


इससे मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. विपक्ष लगातार उनके खिलाफ मोर्चाबंदी में जुटा है. पिछले हफ्ते, एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने "सरकार को जवाबदेह बनाए रखने के लिए" संसद में साथ आने की घोषणा की थी. सन.कॉम की खबर में कहा गया है, 'एमडीपी और डेमोक्रेट्स के 56 सांसद हैं. इनमें एमडीपी के 43 और डेमोक्रेट के 13 सांसद हैं. इसलिए उनके पास राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की शक्ति है.'


मालदीव में विपक्षी पार्टी मालदीव जम्हूरी पार्टी (जेपी) के नेता कासिम इब्राहिम ने मांग की है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत और पीएम मोदी से माफी मांगे. उन्होंने चेतावनी दी कि मुइज्जू को अपना राजनीतिक जीवन आगे बढ़ाने के लिए एक्सट्रा टाइम मिला है. उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए वरना वे इतिहास बन जाएंगे. कासिम ने माले के एक स्थानीय चैनल के साथ एक इंटरव्यू में यह बात कही. 


'भारत से माफी मांगें मुइज्जू'


उनका ये बयान राष्ट्रपति मुइज्जू की उन टिप्पणियों के जवाब में आया है, जो उन्होंने चीन यात्रा से लौटने के बाद की थी. उन्होंने कहा था कि उनका देश छोटा जरूर है लेकिन वह किसी की धमकी में नहीं आएगा. उन्होंने अपनी टिप्पणी में हालांकि भारत का नाम नहीं लिया था लेकिन इसे भारत के खिलाफ माना जा रहा था. जिसके बाद भारत ने बैकडोर चैनलों के जरिए इस बयान पर ऐतराज जताया था. 


मालदीव के डिजिटल समाचार आउटलेट वॉयस ऑफ मालदीव की रिपोर्ट के अनुसार, कासिम इब्राहिम ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों से औपचारिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा है. इब्राहिम ने कहा, 'किसी भी देश के संबंध में, विशेष रूप से पड़ोसी देश के बारे में, हमें इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए, जिससे रिश्ते प्रभावित हों. हमारे राज्य के प्रति हमारा दायित्व है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति सोलिह इस बारे में सचेत थे, इसलिए उन्होंने मुइज्जू के "इंडिया आउट" अभियान पर प्रतिबंध लगाते हुए एक राष्ट्रपति आदेश जारी किया था.'


चीन परस्त यामीन ने भी पलटा पाला


भारत से बैर का असर मालदीव पर पड़ते देख वहां के सभी नेता हिले हुए हैं. मुइज्जू के साथ इंडिया आउट अभियान में साथ देने वाले पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भी अब अपना पाला बदल लिया है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह के उस आदेश का समर्थन किया है, जिसमें इंडिया आउट अभियान पर प्रतिबंध लगाया गया था. यामीन ने कहा, 'उस आदेश को रद्द नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे देश को केवल नुकसान होगा. ऐसा नहीं किया जा सकता. मैं मुइज्जू से कहूंगा कि ऐसा नहीं करना चाहिए. साथ ही, मैं राष्ट्रपति मुइज्जू से चीन यात्रा के बाद अपनी टिप्पणियों के संबंध में भारत सरकार और प्रधान मंत्री मोदी से औपचारिक रूप से माफी मांगने का आह्वान करता हूं.


पिछले साल की शुरुआत में, मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें कहा गया था कि विपक्ष का 'इंडिया आउट' अभियान "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" है. यह सुरक्षा एजेंसियों को अभियान बैनर हटाने की अनुमति देता है और विपक्षी दलों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संवैधानिक कवर प्रदान करता है.