नई दिल्ली: भारत (India) ने दोहराया है कि वह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) व्यापार समझौते में शामिल नहीं होगा. 16 देशों के बीच बनने वाले मुक्त व्यापार क्षेत्र को लेकर भारतीय चिंताओं का उचित समाधान नहीं मिलने पर भारत समझौते को लेकर पुराने रूख पर कायम है. जिन बातों को लेकर भारत ने चिंता जाहिर की है उनमें से चीनी सामान की भारतीय बाजार में भरमार प्रमुख है.


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आसियान के साथ व्यापारिक संबंध रहेंगे
चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और आसियान संधि के सभी दस सदस्यों ने मेगा क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी आरसीईपी व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे पहले पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय की सचिव रीवा गांगुली दास ने कहा था, ‘हमारा रुख साफ है. भारत आरसीईपी में शामिल नहीं हुआ है क्योंकि कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं है. हालांकि, हम आसियान के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’


पर्यवेक्षक के रूप में रहेगा भारत
वहीं शनिवार को एक समझौता हुआ है जिसके तहत भारत एक पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में समूह की गतिविधियों में भाग ले सकता है. इस समझौते के तहत भविष्य में आरसीईपी में शामिल होने का रास्ता खुला रहेगा. इस समझौते के बाद एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, 'भारत आरसीईपी की बैठकों में एक पर्यवेक्षक के रूप में भाग ले सकता है.’


क्या है आरसीईपी
बता दें, मुक्त व्यापार समझौते के मुताबिक आयात और निर्यात की सुगमता को बढ़ाया जाता है. ऐसे समझौते के तहत सदस्य देशों को एक दूसरे के लिए टैक्स घटाने होते हैं. व्यापार के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाता है. समझौते के बाद इन देशों में एक दूसरे के उत्पाद और सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. यह समझौता सबसे बड़ा आर्थिक समझौता है जो वैश्विक जीडीपी का 30% है.


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