PM Modi Russia Visit: परंपरा तोड़ भूटान के बजाय पहली विदेश यात्रा पर रूस क्यों गए पीएम मोदी? छिपी है ये बड़ी रणनीति
PM Modi Russia Tour: भारत में चुनाव जीतने के बाद सभी पहली प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए अक्सर भूटान जाते रहे हैं. पीएम मोदी ने भी पिछले 2 कार्यकालों में ऐसा ही किया है. लेकिन इस बार उन्होंने इस परंपरा को तोड़ दिया.
India Russia News in Hindi: दुनिया के दो बड़े लीडर्स दो अच्छे मित्र दो ताकतवर मुल्कों के सबसे ताकतवर नेता रणनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक मोर्चे पर गुफ्तगूं के लिए दोनों फिर एक साथ दिखे. जैसे ही मॉस्को की जमीन पर 22वें शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाई जहाज उतरा...भारत रूस रिश्तों के नए अध्याय की कहानी भी शुरू हो गई. 5 वर्षों के बाद प्रधानमंत्री मोदी रूस के दौरे पर हैं.
भारत का पश्चिमी देशों को संदेश
ऐसा अध्याय जिसे चीन से लेकर पाकिस्तान वर्षों तक याद रखेंगे. तो एक तरह से अमेरिका और पश्चिमी देशों को भी मौन संदेश है कि रूस और भारत. ये दोस्ती नहीं छोड़ेंगे. इसीलिए सारी दुनिया की नजर पीएम मोदी के रूस दौरे पर है. खुद रूस का मानना है कि पीएम मोदी और पुतिन के मिलन से पश्चिम को खूब जलन होगी. बस दोनों के बीच डिनर वार्ता का इंतजार है. हालांकि ये मुलाकात कितनी अहम है, इसका इशारा प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदुस्तान से जाते समय ही कर दिया था.
पिछले 10 साल में दोनों की मजबूत हुई दोस्ती
भारत और रूस के बीच विशेष और विशेष रणनीतिक साझेदारी पिछले 10 वर्षों में मजबूत हुई है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं अपने दोस्त राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत को लेकर बहुत उत्सुक हूं. इन दो ग्लोबल दोस्तों की पिछले दस वर्षों में 16 बार मुलाकात हो चुकी है और हर मुलाकात दोस्ती के फेविकोल को और मजबूत करती नजर आई है. माना जा रहा है रूस का दौरा इस दोस्तों को नए मुकाम तक ले जाने की सीढ़ी बनेगा.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये दौरा भारत से लेकर रूस के लिए वर्तमान परिदृश्य में कितना अहम है...तो उसे ध्यान से समझिए. अमेरिका से लेकर तमाम पश्चिमी देश यूक्रेन को लेकर रूस के खिलाफ हैं. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा से रूस खुद को मजबूत दिखा सकता है. भारत ने भी मौन संदेश दिया है कि भारत रूस का सच्चा मित्र है.
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहले नेता का आगमन
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद ये ऐसे किसी देश के नेता की पहली मॉस्को यात्रा है जो लोकतांत्रिक भी हो और पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध के साथ साथ क्वाड का हिस्सा भी हो. उम्मीद ये भी है कि यूक्रेन से युद्ध को लेकर कोई नई सहमति की जमीन तैयार हो जाए. क्योंकि पीएम मोदी हमेशा से युद्ध के बजाय बुद्ध की बात करते रहे हैं. मोदी की इस यात्रा की टाइमिंग भी अहम है क्योंकि इसी दौरान नाटो की 75वीं सालगिरह के मौके पर वाशिंगटन में बड़ी बैठक का आयोजन भी किया जा रहा है.
अहमियत की दूसरी बड़ी वजह है. व्यापार और रणनीतिक समझौते. जिसमें कई समझौतों पर मुहर लगने की संभावना है..भारतीय वायु सेना को सुखोई के नए हाइटेक वर्जन SU 57 मिलने से वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. मैंगो शेल्स पर भी बात मुकम्मल हो सकती है. AK 203 गन की डील पर भी नई मुहर लगने की संभावना है. एयर डिफें सिस्टम s-400 की सप्लाई पर बात आगे बढ़ सकती है. तो दूसरी तरफ क्रूड ऑयल पर भी बातचीत बन सकती है.
भारतीय नागरिकों पर भी हो सकती है चर्चा
साथ ही भारतीय नागरिकों की रिहाई को लेकर भी चर्चा की उम्मीद है, जिन्हें रूस की सेना में भर्ती कराया गया था. दो दिन के दौरे में पीए मोदी मॉस्को में भारतीय समुदाय से भी मुलाकात करेंगे और उसके बाद वो ऑस्ट्रिया के दौरे पर निकल जाएंगे.
ये रक्षा समझौता कितना अहम है...उसे समझने के लिए सौदे में शामिल रक्षा हथियारों को समझिए
भारत को रूस से मिलने वाले 'रक्षक'!
S400- मिसाइल डिफेंस सिस्टम
सतह से हवा में मार करने वाला रक्षा सिस्टम
क्रूज, मिसाइल, विमान, ड्रोन के हमले को रोकने में सक्षम
400 KM दूर से 30 किमी ऊंचाई तक हमले में सक्षम
400 KM तक 72 टारगेट साधने की क्षमता
सुखोई Su-57
स्टेज-2 इंजन का इस्तेमाल
रूस का स्टेल्थ एयरक्राफ्ट
रडार से पकड़ना करीब नामुमकिन
66 हजार फीट ऊंचाई तक उड़ान
2135 KM/घंटे की रफ्तार
3500 KM तक उड़ने में सक्षम
ऑटोकैनन गन्स से लैस
1500-1800 गोलियां/ प्रति मिनट की क्षमता
Mango शेल्स
टैंक को भेदने में सक्षम
सबसे भारी धातु से निर्माण
T-72, T-90 युद्धक टैंकों से फायर में सक्षम
(सिद्धांत सिब्बल की रिपोर्ट)