Nimisha Priya Case: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को सुनाई गई मौत की सजा के मामले में यमन दूतावास ने हकीकत बयान कर दी है. दूतावास ने बताया है कि इसके पीछे राष्ट्रपति नहीं हूती विद्रोही हैं.
Trending Photos
Nimisha Priya Death Penalty Case: भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन की एक अदालत ने एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है. हालांकि राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी ने उनकी मौत की सजा को अब तक मंजूरी नहीं दी है. नई दिल्ली में यमन दूतावास ने इस मामले में अहम जानकारी दी है और बताया है कि निमिषा प्रिया को मौत की सजा देने के पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ है. यमन दूतावास ने कहा कि यह मामला हूती विद्रोहियों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में चलाया गया है और इसीलिए यमन के राष्ट्रपति और प्रेसिडेंशियल लीडरशिप काउंसिल के चेयरमैन राशद अल-अलीमी ने इस फैसले पर कोई मुहर नहीं लगाई है.
यह भी पढ़ें: एलन मस्क ने बताया दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या? भारत-चीन पर होगा सबसे ज्यादा असर
क्या है निमिषा प्रिया मामला?
केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली निमिषा प्रिया को जुलाई 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया था. निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने मेहदी नाम के एक यमनी नागरिक की हत्या की.
यह भी पढ़ें: म्यांमार चल रहा बांग्लादेश-सीरिया की राह पर...दिनोंदिन खो रहा अपने शहर, बनेगा नया देश!
निमिषा लंबे समय से यमन में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में काम कर रही थीं, इसके बाद उन्होंने मेहदी की मदद से यमन में अपना क्लीनिक खोला. निमिषा प्रिया के पति और बेटी वित्तीय कारणों के चलते भारत आ गए थे लेकिन निमिषा का पासपोर्ट मेहदी के पास होने से वे वापस नहीं लौट पा रहीं थीं. निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने मेहदी से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे कथित तौर पर बेहोशी का इंजेक्शन दिया. जिससे उसकी मौत हो गई.
सना की जेल में बंद हैं निमिषा
तब से ही 37 वर्षीय नर्स सना की जेल में बंद है. यह इलाका ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है. साल 2020 में ट्रायल कोर्ट ने निमिषा प्रिया को इस हत्या में दोषी होने के लिए मौत की सजा सुनाई थी. जिसे यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा. निमिषा प्रिया की मां ने अपनी याचिका में कहा है कि मेहदी ने नर्स निमिषा प्रिया को वर्षों तक प्रताड़ित किया और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया ताकि वह यमन से बाहर न जा सकें.
यह भी पढ़ें: क्या वाकई ट्रंप बदल पाएंगे मैक्सिको की खाड़ी का नाम या खोखला दावा?
भारत इस मामले पर नजर रखे हुए है. विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जयसवाल ने कहा है, "सरकार इस मामले में हर संभव मदद कर रही है." सरकार और संबंधित एजेंसियां इस मामले को कूटनीतिक रूप से हल करने में जुटी हैं.