Jaishankar On India Russia Relations: संबंधों के बारे में अक्सर एक बात कही जाती है कि अगर दो पक्षों के रिश्तों में गैप की गुंजाइश बनी तो कोई तीसरा उसे अपने हिसाब से भरने की कोशिश कर सकता है. फिर वह पर्सेप्शन भी बदल सकता है. रूस की सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी भारत और रूस के रिश्तों को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के बारे में सीधे तौर पर 'फर्स्ट हैंड' समझ विकसित करने की जरूरत है, इसमें तीसरे का रोल नहीं होना चाहिए. वह कहना चाह रहे थे कि दो देशों के बारे में किसी अन्य देश या समाज को निर्णय करने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए. वह इंडोलॉजिस्ट को संबोधित कर रहे थे. इंडोलॉजिस्ट (Jaishankar To Russian Indologists) वास्तव में भारतीय साहित्य, इतिहास, संस्कृति, दर्शन आदि के विद्यार्थियों को कहा जाता है. ये परदेस में ऐसे लोग होते हैं जो भारत को ज्यादा बेहतर तरीके से जानते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दूसरे के पर्सेप्शन पर न बनाएं राय


राजनीतिक, विशेष रूप से वैश्विक मामलों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि आज के समय में भारत और रूस दोनों देश अपने संबंधों को गहरा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. इसमें प्रबुद्ध वर्ग अहम भूमिका निभाता है. आज दुनिया के जियो-पॉलिटिकल समीकरणों को देखते हुए यह जरूरी हो जाता है कि हम एक दूसरे को सीधे तौर पर जानें और समझें. ऐसा न हो कि दूसरे देश, दूसरे समाज के पर्सेप्शन और दूसरी परंपराओं के आधार पर हम एक दूसरे के लिए राय बना लें. ऐसे में मेरे लिए इंडोलॉजी ज्ञान, संस्कृति और परंपरा से बढ़कर है. यह वास्तव में एक तरह का प्रयास और निवेश है जिससे हम सीधे तौर पर दूसरी सोसाइटी के बारे में अपनी समझ विकसित करें, जो हमारा महत्वपूर्ण पार्टनर है. जयशंकर ने कहा कि और उस सोसाइटी की तरफ से मैं आपकी सराहना करता हूं.


जयशंकर के बयान के मायने


आज के समय के वैश्विक हालात के बीच भारत-रूस के संबंधों पर गौर करें तो जयशंकर के बयान में एक बड़ा संदेश समझ में आता है. दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बावजूद भारत-रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे. अमेरिका समेत दुनियाभर के देश भारत पर प्रेशर बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन भारत ने वही किया जो उसके हित में था. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है जबकि पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाकर बैठे हैं. रूस और भारत की दोस्ती समय के साथ मजबूत होती गई है. आजादी के बाद से ही रूस हर जरूरत के समय भारत के साथ खड़ा रहा. स्पेस, परमाणु ऊर्जा से लेकर जंग के वक्त रूस ने 'पक्के दोस्त' की भूमिका निभाई है. 


शायद इसीलिए विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत और रूस के संबंध सिर्फ कूटनीति या इकोनॉमिक्स तक सीमित नहीं हैं, यह बहुत गहरा है. जयशंकर ने कहा, ‘आज जब आप भारत को देखते हैं, हम ऐसी अर्थव्यवस्था हैं, जो चार ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच रही है...आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि अगले 25 वर्षों में हम सफल हों और एक विकसित देश बनें.’ विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि विकसित देश का मतलब सिर्फ विकसित अर्थव्यवस्था से नहीं है, बल्कि ऐसे देश से है जो अपनी परंपराओं, विरासत और संस्कृति के प्रति जागरूक और गौरवान्वित हो.