Eye for an Eye: बेटी ने ही अपनी Mother को फांसी पर लटकाया, Father की हत्या का था आरोप
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मरयम करीमी ने अपने पिता अब्राहिम के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था. अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अब्राहिम को भी फांसी दी गई या नहीं. हालांकि, वह अपनी बेटी की फांसी के दौरान गवाह के तौर पर जेल में मौजूद था.
तेहरान: ईरान (Iran) में एक बेटी ने ही अपनी मां को फांसी पर लटका दिया. ‘आंख के बदले आंख’ (Eye for an Eye) कानून के तहत महिला को यह सजा सुनाई गई थी. महिला पर आरोप था कि उसने अपने पति की हत्या की थी. दरअसल, ईरान में इंसाफ के नाम पर दोषी को उसके जुर्म के बराबर की सजा देने का प्रावधान है. इसी कानून के तहत मरयम करीमी (Maryam Karimi) नामक महिला को उसकी बेटी ने सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया. फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले मरयम कई सालों से जेल में बंद थी.
Daughter ने जताई थी इच्छा
Mirror UK की रिपोर्ट के अनुसार, मरयम करीमी (Maryam Karimi) पर आरोप था कि उसने अपने पति की हत्या की थी. मरियम का पति उसे प्रताड़ित करता था और तलाक (Divorce) देने को भी तैयार नहीं था. मरियम की बेटी ने अपने पिता की हत्या के लिए मां को माफ करने से इनकार कर दिया था. इतना ही नहीं, उसने मौत के बदले दी जाने वाली अनुग्रह राशि को भी ठुकरा दिया था और मां को खुद फांसी पर लटकाने की इच्छा दर्शाई थी.
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मिलकर दिया था वारदात को अंजाम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मरयम करीमी ने अपने पिता अब्राहिम के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था. अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अब्राहिम को भी फांसी दी गई है कि नहीं. हालांकि, वह अपनी बेटी की फांसी के दौरान गवाह के तौर पर जेल में मौजूद था. मरियम पर सुनियोजित हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया था और उसे ‘आंख के बदले आंख’ कानून, जिसे 'कियास' (Qisas) के रूप में भी जाना जाता है, के तहत सजा सुनाई गई.
Qisas में हैं ये प्रावधान
कियास कानून के तहत, पीड़ितों के रिश्तेदारों को दोषी को सजा देते समय उपस्थित रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. कई मामलों में तो उन्हें ही सजा देने का अवसर भी दिया जाता है, जैसा कि मरयम की बेटी को मिला. इस कानून के तहत कम उम्र के अपराधियों को भी मौत की सजा देने का प्रावधान है. मरयम करीमी के मामले से एक बार फिर ईरान के कट्टर कानून को लेकर बहस शुरू हो गई है. मानवाधिकार संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि ये इंसाफ नहीं बल्कि क्रूरता है. उनका कहना है कि मरयम की बेटी को सालों तक यही सिखाया जाता रहा कि उसकी मां ने गुनाह किया है. इसलिए वह कभी अपनी मां को माफ नहीं कर सकी.