World News Hindi: सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को काबू में रखने के लिए गुरुवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया.  देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है.


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भारत से गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात वित्तवर्ष 2022-23 में 42 लाख डॉलर का हुआ था, जबकि इससे पिछले वर्ष में निर्यात 26.2 लाख डॉलर का था. भारत के गैर-बासमती चावल निर्यात के प्रमुख गंतव्यों में थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं.


विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के अनुसार, ‘गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) की निर्यात नीति को मुक्त से प्रतिबंधित कर दिया गया है.’


मंत्रालय ने कहा, ‘उचित कीमतों पर पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गैर बासमती चावल की निर्यात नीति में संशोधन किया गया है.’ इस कदम का उद्देश्य आगामी त्योहारों में कम कीमतें और पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है. हालांकि खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गैर-बासमती उसना चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं होगा. कुल निर्यात में दोनों किस्मों का हिस्सा बड़ा है.


रूस ने तोड़ा अनाज समझौता
इससे पहले रूस ने यूक्रेन के साथ काला सागर अनाज समझौते को तोड़ दिया. यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने यूक्रेन के अनाज निर्यात को रोक दिया था. इससे वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई थी. रूस और यूक्रेन के बीच समझौता संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से हुआ था. इस समझौते से भेज गए अनाज का एक बड़ा हिस्सा अफ्रीकी महाद्वीप, पश्चिम एशिया और अन्य जगहों के विकासशील देशों में लोगों को खिलाने के लिए चला गया है.


रूस के इस समझौते को तोड़ देने से विश्व अनाज बाजारों को तगड़ा झटका लगा है और आशंका जताई जा रही है कि अगर यह समझौता दोबारा नहीं हुआ तो खाद्य संकट पैदा हो सकता है.


अमेरिका ने दी चेतावनी
इस समझौते के टूटने के बाद अमेरिका ने बुधवार को चेतावनी दी कि रूसी सेना काला सागर में असैन्य पोतों पर संभावित हमले की तैयारी कर रही है. काला सागर अनाज समझौते से इस सप्ताह बाहर आने के बाद रूस ओडेसा (Odesa) में यूक्रेन के अनाज निर्यात बंदरगाहों पर मिसाइल और ड्रोन से पहले ही हमले कर चुका है. इन हमलों में लगभग 60,000 टन अनाज नष्ट हो गया है.


व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एडम हॉज ने एक बयान में कहा, ‘हमारी जानकारी से संकेत मिलता है कि रूस ने यूक्रेनी बंदरगाहों के रास्ते में अतिरिक्त समुद्री खदानें बिछाई हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह काला सागर में असैन्य पोतों के खिलाफ किसी भी हमले को उचित ठहराने और इन हमलों के लिए यूक्रेन पर दोष मढ़ने का एक समन्वित प्रयास है.’ बता दें रूस और यूक्रेन दुनियाभर में गेहूं, जौ, सूरजमुखी का तेल और अन्य किफायती खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में शुमार है. विकास शील देश इन खाद्यानों पर निर्भर है.


भारत ने काला सागर अनाज पहल को जारी रखने यूएन के प्रयासों को अपना समर्थन दिया है. और उम्मीद जताई है कि मौजूदा गतिरोध का शीघ्र समाधान होगा.