इस्लामाबादः पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार का कहना है कि न्यायपालिका ने देश की किसी भी संस्था के कामकाज में दखल नहीं दिया और उसने अपनी सीमाओं में रहकर फैसले दिए हैं. 17 जनवरी को सेवानिवृत होने जा रहे साकिब (64) ने सोमवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. साकिब ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कानूनी ढांचे के दायरे में रहते हुए फैसले दिए.


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जियो न्यूज ने साकिब को यह कहते हुए उद्धृत किया है "न्याय व्यवस्था में काफी कुछ किया जाना बाकी है. लोग भ्रष्टाचार और घूसखोरी को पसंद नहीं करते. वे कानून का प्रभुत्व चाहते हैं." पिछले हफ्ते शीर्ष न्यायाधीश ने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान में मानवता की बेहतरी के लिए न्यायिक सक्रियता की नींव रखी है. निसार ने कहा कि लोगों को उस तरह न्याय नहीं मिल पा रहा है जैसे पहले मिलता था.


पहले ही तरह नहीं मिल पा रहा है न्याय- जस्टिस
पिछले हफ्ते शीर्ष न्यायाधीश ने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान में मानवता की बेहतरी के लिये न्यायिक सक्रियता की नींव रखी है. निसार ने कहा कि लोगों को उस तरह न्याय नहीं मिल पा रहा है जैसे पहले मिलता था. 


गौरतलब है कि साकिब निसार ने उस पीठ की अध्यक्षता की थी जिसने भ्रष्टाचार के मामले में 2017 में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्य करार दिया था. उन्होंने कहा ‘‘खुली अदालतें लगाना शुरू करने के बाद से मैंने कई ऐसे परेशान लोगों को तक देखा जिनके पास दवा खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते. ’’