नेपाल का वो धार्मिक त्योहार, एक महीने में दी गई 2.5 लाख जानवरों की बलि; भारत ने 750 बचाए
Gadhimai Festival Nepal: नेपाल में धार्मिक उत्सव गढ़ीमाई फेस्टिवल में 4200 पशुओं की बलि देने का मामला सामने आया है. वहीं करीब साढ़े 7 सौ जानवरों को बचा लिया गया.
Animal Sacrifice in Nepal: नेपाल में होने वाले सबसे बड़े गढ़ीमाई उत्सव में 4 हजार से ज्यादा पशुओं की सामूहिक बलि दी गई है. इस घटना ने भारत के सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), और बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में स्थानीय प्रशासन को परेशान कर दिया. इसके चलते इस सप्ताह में 750 भैंसों और बकरियों समेत विभिन्न जानवरों का वध करने से बचाया गया. फिर भी इस उत्सव में 8-9 दिसंबर को गढ़ीमाई मंदिर में 4,200 भैंसों का वध करके बलि दी गई.
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बचाए गए करीब 400 जानवरों को गुजरात के वंतारा में भेजा
सामूहिक बलि के लिए जाने से पहले बचाए गए 74 भैंसों लगभग 400 जानवरों को गुजरात के जामनगर में रिलायंस समूह के वन्यजीव और पुनर्वास केंद्र, वंतारा में भविष्य की देखभाल के लिए भेज दिया गया है.
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पहली बार इतना बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
यह अपनी तरह का पहला बचाव अभियान भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) और पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) और ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया (एचएसआई/इंडिया) जैसे पशु कल्याण समूहों के हस्तक्षेप से संभव हुआ है. उनके स्वयंसेवकों ने जिला प्रशासन के साथ जमीन पर काम किया और 8-9 दिसंबर को दो दिनों में हुए सामूहिक बलिदान से पहले नेपाल में सैकड़ों भैंसों, बकरियों, कबूतरों और मुर्गियों के अवैध परिवहन को रोक दिया था.
5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि
नेपाल के बारा जिले के बरियारपुर गांव में हर 5 साल में गढ़ीमाई मंदिर में आयोजित होने वाले उत्सव में अनुमानित 5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि दी जाती है. हालांकि बलि के लिए ज्यादातर जानवर स्थानीय स्तर पर खरीदे जाते हैं, लेकिन भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गढ़ीमाई मंदिर में बलि के लिए नेपाल में जानवरों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए 2014 में सरकार को निर्देश देने के बावजूद बड़ी संख्या में बिहार और यूपी से जानवर आते हैं.
इस साल भी ढाई लाख से ज्यादा बलि
इस वर्ष बलिदान किए गए जानवरों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर सीमा पर बचाव प्रयासों का नेतृत्व करने वाले एचएसआई/भारत के अरकप्रवा बहार ने कहा, ''सटीक संख्या निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि केवल भैंस की बलि को ही आधिकारिक तौर पर ट्रैक किया जाता है. वहीं मंदिर समिति को प्राप्त हुए जानवरों के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि उस अवधि के दौरान 2.5 से 5 लाख जानवरों की बलि दी गई थी, जिसमें 4,200 भैंसें भी शामिल थीं.''
उत्सव से पहले ही सक्रिय हो गया था प्रशासन
एडब्ल्यूबीआई ने अक्टूबर में ही बिहार और यूपी के पुलिस प्रमुखों को पत्र लिखकर त्योहार से पहले जानवरों के अवैध परिवहन को रोकने के लिए कहा था. बोर्ड के सदस्य गिरीश जे शाह ने जानवरों को बचाने के लिए जिला प्रशासन के साथ अभियान का समन्वय भी किया.
1 महीने तक चलता है गढ़ीमाई उत्सव
माना जाता है कि गढ़ीमाई उत्सव की लगभग 265 साल से मनाया जा रहा है. इस 1 महीने चलने वाले उत्सव में धर्मावलंबी अपनी मन्न्त पूरी होने पर पशु बलि देते हैं. जिसके कारण इस एक महीने में यहां 5 लाख तक जानवरों की बलि दी जाती है. माना जाता है कि इस दौरान विश्व में सबसे ज्यादा बलि इसी मंदिर में दी जाती है.
हालांकि नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने 2019 में गढ़ीमाई में पशु बलि को समाप्त करने का आदेश दिया था और अधिकारियों से इस प्रथा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक योजना बनाने का आग्रह किया था. लेकिन पड़ोसी देश अब तक इसे नियंत्रित करने में सफल नहीं हो पाया है.