Myanmar में तख्तापलट! सेना ने Aung San Suu Kyi, राष्ट्रपति Win Myint सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया
सैन्य कार्रवाई के बीच सोमवार सुबह से ही राजधानी नेपीडॉ में फोन लाइन काम नहीं कर रही हैं. इसके अलावा, मीडिया संगठनों को भी ब्रॉडकास्ट में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सेना चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सांग सू-की की पार्टी को मिली जबरदस्त जीत से नाराज चल रही थी.
नेपीडॉ: म्यांमार (Myanmar) में एक बार फिर से तख्तापलट की आशंका तेज हो गई है. सेना (Army) ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रमुख नेता आंग सांग सू की (Aung San Suu Kyi), राष्ट्रपति विन म्यिंट (Win Myint) और सत्तारूढ़ पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया है. सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) के प्रवक्ता ने इस सैन्य कार्रवाई की जानकारी दी है. उन्होंने पार्टी समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि कानून विरुद्ध कोई कदम न उठाएं.
सड़कें बनीं छावनी
म्यांमार की सेना ने यह कदम सरकार से बढ़ते तनाव के बाद उठाया है. मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सड़कों पर भारी संख्या में सैनिक तैनात हैं और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है. NLD के प्रवक्ता मयो न्यूंट (Myo Nyunt) ने न्यूज एजेंसी Reuters को बताया कि आंग सांग सू की (Aung San Suu Kyi), राष्ट्रपति और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को सेना ने सोमवार अल सुबह छापेमारी के बाद हिरासत में ले लिया. मयो ने कहा कि उन्हें भी जल्द हिरासत में लिया जा सकता है.
NLD की जीत से नाराज थी Army
सैन्य कार्रवाई के बीच सोमवार सुबह से ही राजधानी नेपीडॉ में फोन लाइन काम नहीं कर रही हैं. इसके अलावा, मीडिया संगठनों को भी ब्रॉडकास्ट में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि देश के चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सांग सू-की की पार्टी NLD की जबरदस्त जीत के बाद आज से म्यांमार की संसद शुरू होने वाली थी. सेना पार्टी की इस जीत से नाराज चल रही थी.
Army ने साधी चुप्पी
इस संबंध में सेना की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है. वहीं, एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि यंगून शहर में हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है. इससे पहले तख्तापलट की साजिश पर अपना रुख साफ करते हुए सेना ने कहा था कि वह संविधान की रक्षा करेगी और कानून के मुताबिक ही काम करेगी. हालांकि, अब उसकी कार्रवाई से लग रहा है कि म्यांमार में तख्तापलट होना तय है. गौरतलब है कि म्यांमार में 1962 में तख्तापलट किया गया था, जिसके बाद 49 साल तक सेना का शासन रहा.
क्या कहते हैं Experts?
-वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक के पूर्व-दक्षिण एशिया विशेषज्ञ मुरे हिएबर्ट (Murray Hiebert) ने कहा कि म्यांमार की मौजूदा स्थिति अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने म्यांमार सेना से आग्रह किया है कि तख्तापलट न किया जाए, लेकिन लगता नहीं है कि सेना इस अपील पर ध्यान देगी.
-ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया एडवोकेसी डायरेक्टर जॉन सिफ्टन ने कहा कि म्यांमार की सेना ने कभी भी चुनी हुई सरकार को तवज्जो नहीं दी. मौजूदा घटनाक्रम के बाद अमेरिका सहित अन्य देशों को तुरंत म्यांमार के सैन्य नेतृत्व के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने चाहिए. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब दुनिया को म्यांमार की सेना के खिलाफ एकजुटता दिखानी होगी.
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