NASA ने धरती पर उतार दिया `मंगल ग्रह`, पढ़िए मिशन मार्स के 378 दिन की इनसाइड स्टोरी
NASA Mars mission: नासा के मुताबिक ऐसे ही दो और अभियानों की योजना बनाई गई है. और इन अभियानों में सिम्युलेटेड स्पेसवॉक जारी रहेंगी. साथ ही शारीरिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन से संबंधित डेटा जमा किया जाएगा.
NASA's simulated Mars mission: अगर मंगल पर रहना संभव हुआ तो वहां इंसानों की जिंदगी कैसी होगी. घर और लोगों का लाइफस्टाइल कैसा होगा. ये सवाल जरूर आपके मन में उठता होगा. लेकिन धरती पर भी एक मिनी मंगल तैयार किया गया है जहां कुछ वैज्ञानिकों ने बहुत लंबा वक्त गुजारा. मार्स मिशन के अभियान दल के चार सदस्यों ने ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में नासा के पहले सिम्युलेटेड मार्स एनवायरमेंट यानी मंगल जैसे माहौल में 12 महीने से ज्यादा का समय बिताया .
नासा का 'मंगल लोक'
25 जून 2023 को सदस्यों ने की एंट्री
378 दिन के बाद मंगल लोक से बाहर निकले
मंगल लोक 3डी-प्रिंटेड एक घर
साथ ही, मिशन के दौरान सदस्य सब्जियों को उगाने और उनकी फसल काटने का काम भी करते थे. ताकि अपने खाने की सप्लाई को बढ़ा सकें और आवास और उपकरणों को बनाए रख सकें.
नासा के मुताबिक ऐसे ही दो और अभियानों की योजना बनाई गई है. और इन अभियानों में सिम्युलेटेड स्पेसवॉक जारी रहेंगी. साथ ही शारीरिक और व्यवहारिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन से संबंधित डेटा जमा किया जाएगा.
700 स्क्वॉयर फुट इलाके में मंगल ग्रह जैसा वातावरण तैयार किया गया था जहां पर चारों एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य और परफॉर्मेंस से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया गया. नासा का मंगल ग्रह वाला एनालॉग मिशन 25 जून 2023 को शुरू हुआ और 6 जुलाई 2024 तक चला. आगे ऐसे ही मिशन 2025 और 2026 में भी होंगे.
नासा की खोज जारी
गौरतलब है कि नासा के इस समय कई मिशन चल रहे हैं. हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने धरती और शुक्र के बीच एक नई और बेहद दिलचस्प दुनिया का पता लगाया है. यहां जीवन की मौजूदगी और संभावना को लेकर वैज्ञानिक बेहद उत्सुक हैं. नई दुनिया के मिलने से वैज्ञानिक भी हैरान हैं. क्या ये नई दुनिया इंसानों के बसने लायक है या नहीं ये जानना भी दिलचस्प होगा.
नासा के TESS (ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट) के खगोलविदों की दो इंटरनेशनल टीमों ने कई अन्य सुविधाओं के अवलोकन का उपयोग करते हुए केवल 40 प्रकाश वर्ष दूर पृथ्वी और शुक्र के बीच एक नए ग्रह की खोज की है. इसे वैज्ञानिकों ने शुक्र और पृथ्वी के बीच बेहद दिलचस्प नई दुनिया करार दिया है.
इस नई दुनिया की खोज को लेकर टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मासायुकी कुज़ुहारा ने कहा, 'हमने आज तक की सबसे निकटतम, पारगमन, समशीतोष्ण, पृथ्वी के आकार की दुनिया का पता लगाया है. हालांकि हमें ये नहीं पता कि इसमें वायुमंडल है या नहीं. फिलहाल तो हम इसे एक एक्सो-वीनस के रूप में सोच रहे हैं, जिसका आकार और ऊर्जा इसके तारे से सौर मंडल में हमारे पड़ोसी ग्रह के समान है.'