Nepal PM China Visit: नेपाल और भारत के रिश्ते ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से गहरे हैं. यह परंपरा रही है कि नेपाल में जब भी कोई प्रधानमंत्री पद संभालता है, तो अपनी पहली विदेश यात्रा भारत की करता है. लेकिन इस बार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस परंपरा को तोड़ते हुए चीन को अपना पहला गंतव्य चुना. ओली की इस यात्रा ने नेपाल-भारत के संबंधों में एक नई बहस छेड़ दी है और इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि भविष्य में नेपाल की विदेश नीति क्या रूप लेगी.


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चार दिवसीय चीन यात्रा की शुरुआत


ओली सोमवार से चार दिनों के लिए चीन की आधिकारिक यात्रा पर हैं. इस दौरान वे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य चीन-नेपाल के बीच के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट्स को पुनर्जीवित करना है.


बीआरआई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की योजना


चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि ओली के नेतृत्व में नेपाल ने बीआरआई परियोजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण प्रगति की है. 2017 में हस्ताक्षरित इस परियोजना के तहत अब तक कोई भी काम शुरू नहीं हुआ है. ओली की यात्रा के दौरान कोशी कॉरिडोर जैसी सड़क परियोजनाओं पर चर्चा होने की उम्मीद है, जिससे नेपाल और तिब्बत को जोड़ा जा सके.


चीन के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश


ओली की गिनती चीन समर्थक नेताओं में होती है. उनकी पार्टी, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी), चीन और भारत के साथ संतुलित संबंध चाहती है. ओली के इस कदम को चीन-नेपाल पारंपरिक दोस्ती को और मजबूत करने की दिशा में देखा जा रहा है.


भारत का निमंत्रण न मिलने की खबरें


नेपाल के मीडिया में यह चर्चा भी है कि ओली को भारत से कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला, जिसके कारण उन्होंने चीन को प्राथमिकता दी. इससे पहले नेपाली कांग्रेस की ओर से विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने भारत का दौरा किया था और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से व्यापक वार्ता की थी.


बीआरआई: चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना


बीआरआई चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ना है. नेपाल इसका शुरुआती साझेदार रहा है. ओली की यात्रा से इस परियोजना में नई ऊर्जा आने की उम्मीद है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)