Israel Hamas War: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के साथ संघर्ष विराम समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि बंधकों को छुड़ाने के लिए चल रही बातचीत में कुछ प्रगति हुई है. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस समझौते को अंतिम रूप देने में कितना समय लगेगा. सोमवार को इजरायली संसद नेसेट में बोलते हुए नेतन्याहू ने कहा कि हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं ताकि सभी बंधक सुरक्षित घर लौट सकें.


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विदेश मंत्री ने क्या कहा..


इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने भी सोमवार को नेसेट की विदेश और रक्षा समिति की बैठक में इस समझौते की कुछ जानकारियां दीं. इसके बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कतर, मिस्र और अमेरिका की दखल के बाद इस समझौते का खाका तैयार हुआ है. ये तीनों ही देश इस समझौते के लिए अहम भूमिका निभा रहे हैं. हालांकि अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है.


मानवीय आधार पर बातचीत


इजरायल के प्रवासी मंत्री अमीचाई चिक्ली ने एक सार्वजनिक रेडियो इटरव्यू में बताया कि बातचीत के शुरुआती चरण में मानवीय मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में 42 दिनों का युद्ध विराम और कुछ बंधकों की रिहाई शामिल हो सकती है. चिक्ली ने यह भी कहा कि यह जमीनी हालात पर निर्भर करेगा कि यह संघर्ष विराम कितने समय तक चलेगा.


युद्ध विराम को लेकर बड़े मुद्दे


युद्ध विराम का समय इस समझौते में सबसे बड़ा मुद्दा है. हमास चाहता है कि संघर्ष पूरी तरह खत्म हो जाए. जबकि इजरायल इस बात पर जोर दे रहा है कि युद्धविराम के बाद भी गाजा में हमास का नियंत्रण समाप्त होना चाहिए. इजरायल यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि गाजा में उसकी सैन्य मौजूदगी बनी रहे.


हमास के हमले और इजरायल की प्रतिक्रिया


7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजरायल पर बड़ा हमला किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोगों की मौत हो गई थी और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था. इजरायली आंकड़ों के अनुसार, अभी भी लगभग 100 बंधक हमास के कब्जे में हैं. इनमें से कुछ की मौत होने की भी आशंका है. हमास के इस हमले के बाद इजरायल ने गाजा पर बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी. इजरायली हमलों में गाजा के कई इलाके तबाह हो गए हैं और हजारों फिलिस्तीनियों की जान गई है.


मानवीय संकट और आगे का रास्ता


गाजा में जारी सैन्य संघर्ष के चलते वहां मानवीय संकट और गहरा गया है. गाजा पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है और लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अभी यह देखना बाकी है कि संघर्ष विराम समझौता कब तक सफल हो पाता है और इससे क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करने की राह कितनी आसान होगी.


(एजेंसी इनपुट के साथ)