Science News: वैज्ञानिकों ने पक्षियों में ‘प्लास्टिकोसिस’ नामक एक नई बीमारी की खोज की है. ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने पक्षियों के पाचन तंत्र में जख्मी ऊतक पाए जो प्लास्टिक खाने के कारण हुए थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

खतरनाक सामग्री (Hazardous Materials,) के जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह बीमारी ‘शरीर के पाचन तंत्र में प्लास्टिक की लगातार उपस्थिति’ के कारण होती है, जिससे लंबे समय तक सूजन हो सकती है और यहां तक कि निशान ऊतक भी बन सकते हैं.


30 मृत पक्षियों में मिला प्लास्टिक
शोधकर्ताओं ने 80 से 90 दिनों के बीच के 30 मांस-पैर वाले शियरवाटर पक्षियों में प्लास्टिक के निशान पाए,  जिनकी हाल ही में मृत्यु हो गई थी. उन्हें ऑस्ट्रेलिया के लॉर्ड होवे द्वीप से एकत्र किया गया था. इन 30 पक्षियों में बच्चे भी शामिल थे.


शोधकर्ताओं को पक्षियों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़े मिले. एक पक्षी ने अपने शरीर के भार का 12.5 प्रतिशत प्लास्टिक में उपभोग कर लिया था. अध्ययन में पाया गया कि एक पक्षी जितना अधिक प्लास्टिक का उपभोग करता है, उसके ऊतकों पर उतने ही अधिक निशान होते हैं.


पक्षियों पर बीमारी के ये प्रभाव हो सकते हैं
शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘यह  रोग प्रोवेन्ट्रिकुलस में ट्यूबलर ग्रंथियों के धीरे-धीरे टूटने का कारण बन सकता है. इन ग्रंथियों के खो जाने से पक्षी संक्रमण और परजीवियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं और भोजन को पचाने और कुछ विटामिनों को अवशोषित करने की उनकी क्षमता को प्रभावित हो सकती है.’


वैज्ञानिकों ने फाइब्रोटिक बीमारी को प्लास्टिकोसिस नाम यह स्पष्ट करने के लिए दिया कि यह पर्यावरण में प्लास्टिक के कारण होती है.


गार्जियन अखबार ने नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में पक्षियों के प्रभारी प्रमुख क्यूरेटर डॉ एलेक्स बॉन्ड के हवाले से कहा, ‘जबकि ये पक्षी बाहर से स्वस्थ दिख सकते हैं, लेकिन वे अंदर से हेल्दी नहीं होते हैं. यह पहली बार है कि पेट के ऊतकों की इस तरह से जांच की गई है और यह दर्शाता है कि प्लास्टिक के सेवन से इन पक्षियों के पाचन तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com- सबसे पहले, सबसे आगे