लाहौर: पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि उनके मुल्क को आर्थिक, राजनीतिक या सैन्य रूप से अमेरिका पर आश्रित देश रहने के बजाय भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करना चाहिए. हिना ने यहां शनिवार को ‘थिंक फेस्ट’ में अमेरिका - पाकिस्तान संबंधों पर कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा ही खुद के एक पूर्ण रणनीतिक साझेदार होने की कल्पना की है, जो दूर की बात है. ‘डॉन’ में रविवार को आई एक खबर के मुताबिक, पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान अपने दोनों हाथों में भिक्षा पात्र रख कर सम्मान नहीं हासिल कर सकता.


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पाकिस्तान की प्रथम महिला विदेश मंत्री (2011-2013) रह चुकीं हिना ने कहा कि पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण संबंध अमेरिका के बजाय अफगानिस्तान, भारत, ईरान और चीन के साथ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अमेरिका उतनी अहमियत पाने का हकदार नहीं है जितनी पाकिस्तान में उसे दी गई है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था अमेरिका के सहयोग पर निर्भर नहीं है, जैसा कि व्यापक रूप से माना जाता है.



गौरतलब है कि उनके ही कार्यकाल के दौरान अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मई 2011 में एक अमेरिकी सैन्य अभियान में मारा गया था. हिना ने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अवश्य ही अफगान युद्ध से बाहर निकल जाना चाहिए.  17 बरसों से चले आ रहे इस युद्ध में पाक को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है.  


पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार का बड़ा बयान, 'भारत से लड़कर कश्मीर नहीं जीत सकता पाकिस्तान'
आपको बता दें कि हिना का इस तरह का बयान कोई पहली बार नहीं आया है. इससे पहले भी वह कई बार भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर बोल चुकी हैं. उन्होंने इससे पहले कश्मीर पर पाकिस्तान को आइना दिखाते हुए कहा था कि 'पाकिस्तान भारत से लड़कर कश्मीर नहीं जीत सकता, इस मुद्दे का हल आपसी विश्‍वास का माहौल बनाकर ही किया जा सकता है.



पाक न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्‍यू में खार ने कहा था, 'मेरा मानना है कि पाकिस्‍तान युद्ध लड़कर कश्‍मीर को हासिल नहीं सकता है. यदि हम ऐसा नहीं कर सकते तो सिर्फ बातचीत ही विकल्प बचता है. उन्होंने कहा कि आपसी बातचीत ही ऐसा एकमात्र रास्ता है जिससे आप अपने रिश्‍तों को बेहतर बना सकते हैं और आपसी विश्‍वास बरकरार रख सकते हैं. कश्‍मीर जैसे नाजुक मसले पर बातचीत लगातार जारी रखी गई तो समाधान तक पहुंच सकते हैं.


इनपुट भाषा से भी