Pakistan News: इस्लामाबाद में पाकिस्तान की स्थानीय अदालतों ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की नौ याचिकाओं को खारिज कर दिया. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें हिंसक विरोध प्रदर्शन पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के संबंध में जमानत की मांग की गई थी.


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मंगलवार को, इस्लामाबाद की आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) ने तीन जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. इसी के साथ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) मोहम्मद सोहेल ने खान के लिए गिरफ्तारी पूर्व जमानत की मांग करने वाली छह याचिकाएं खारिज कर दीं.


अदालत ने क्या कहा?
जियो न्यूज के अनुसार, जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में इमरान खान की जमानत को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है.


वहीं जज मुहम्मद सोहेल ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि यह सुविधाजनक होगा यदि पूर्व पीएम, जिन्हें पिछले साल संसदीय वोट के माध्यम से सत्ता से हटा दिया गया था, मामलों से संबंधित जांच में शामिल हों.


इमरान के खिलाफ इन जगहों पर दर्ज हुए हैं केस
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष के खिलाफ खन्ना और बरकाहू पुलिस स्टेशनों में एफआईआर दर्ज की गई थी.  इसके अलावा संघीय राजधानी के कराची कंपनी, रमना, कोहसर, तरनूल और सचिवालय पुलिस स्टेशनों में पीटीआई प्रमुख के खिलाफ छह मामले दर्ज किए गए थे.


खान की गिरफ्तारी के बाद हुए थे हिंसक प्रदर्शन
इस साल 9 मई को भ्रष्टाचार के एक मामले में पीटीआई प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और पार्टी समर्थकों ने देश के कई हिस्सों में रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला कर दिया.


इसके बाद दंगों में कथित संलिप्तता के लिए सैकड़ों पीटीआई कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया. वहीं जबकि अधिकारियों ने पूर्व पीएम पर हिंसक विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया.


पिछले महीने खान एक बार फिर हुए गिरफ्तार
इस बीच, अपदस्थ प्रधानमंत्री को इस महीने की शुरुआत में फिर से अटॉक जेल में सलाखों के पीछे डाल दिया गया , जब इस्लामाबाद की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें तोशखाना (राज्य डिपॉजिटरी) की आय को छिपाने का दोषी पाए जाने के बाद तीन साल की जेल की सजा सुनाई और 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया. 2018 से 2022 तक देश के प्रधान मंत्री के रूप में उन्हें विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से उपहार मिले.


इसके बाद, पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद सार्वजनिक पद संभालने से पांच साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया.