Intelligence Agency:  अमेरिका को हर क्षेत्र में चुनौती दे रहा चीन अब जासूसी के मैदान में पीछे नहीं है. चीनी जासूस अब और अधिक मांग कर रहे हैं. महामारी के दौरान चीनी टेक्नोलॉजी कॉन्ट्रैक्टर्स के साथ बैठकों में, उन्होंने शिकायत की कि बीजिंग के एंबेसी डिस्ट्रिक्ट में विदेशी राजनयिकों, सैन्य अधिकारियों और खुफिया कार्यकर्ताओं पर नज़र रखने वाले निगरानी कैमरे उनकी ज़रूरतों से कम हैं. द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जासूसों ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम की मांग की जो इलाके में दिलचस्पी रखने वाले हर शख्स पर तत्काल डोजियर बनाएगा और उनके व्यवहार पैटर्न का विश्लेषण करेगा.


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द न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा प्राप्त आंतरिक मीटिंग मेमो के अनुसार, एआई-जनरेटेड प्रोफाइल चीनी जासूसों को लक्ष्य चुनने और उनके नेटवर्क और कमजोरियों जानने की अनुमति देगा.


टेक्नोलॉजी में जासूसों की रुचि, चीन की मुख्य खुफिया एजेंसी, राज्य सुरक्षा मंत्रालय की कुछ बड़ी महत्वाकांक्षाओं को उजागर करती है. हाल के वर्षों में,  चीनी खुफिया एजेंसी अमेरिकी नागरिकों सहित व्यापक भर्ती के माध्यम से खुद को मजबूत किया है.  


एजेंसी ने चीन के नेता शी जिनपिंग के संयुक्त राज्य अमेरिका को टक्कर देने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण, बड़े बजट और उन्नत टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के माध्यम से खुद को तेज किया है.


चीनी खुफिया एजेंसी हुई मजबूत
चीनी एजेंसी, जिसे एमएसएस के नाम से जाना जाता है, एक समय ऐसे एजेंटों से भरी हुई थी जिनकी जानकारी का मुख्य स्रोत एंबेसी की डिनर पार्टियों की गपशप थी. लेकिन अब दुनिया भर की जानकारियों के साथ यह अमेरिका की सेंट्रल खुफिया एजेंसी (CIA) के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है.


रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों और लेन-देन की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया आज बीजिंग में चीनी एजेंटों के पास वह है जो उन्होंने मांगा था - अमेरिकी जासूसों और अन्य लोगों पर नज़र रखने वाली एक ए.आई. प्रणाली.


अमेरिकी और चीनी जासूसी एजेंसियों के बीच कंपटीशन शीत युद्ध के दौरान के.जी.बी. बनाम सी.आई.ए. के मुकाबले की याद दिलाती है. उस दौर में सोवियत संग ने एक ऐसी एजेंसी बनाई जो अमेरिका के सबसे गहरे रहस्यों को चुरा सकती थी और गुप्त अभियान चला सकती थी,  साथ ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन सहित दुर्जेय राजनीतिक नेताओं को भी तैयार कर सकती थी. हालांकि शीत युद्ध की के.जी.बी.  और चीन की मौजूदा खुफिया एजेंसी एक बड़ा फर्क भी है.  


चीन की आर्थिक उछाल और औद्योगिक नीतियों के कारण, एमएसएस ए.आई. जैसी उभरती टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में सक्षम है. चीनी एजेंसी अमेरिकी जासूसों को उस तरह की चुनौती दे सकती है जो कि सोवियत एजेंसी नहीं कर सकी.


सीआईए कर रही है ये काम
एमएसएस सैन्य और नागरिक दोनों उपयोगों के साथ प्रौद्योगिकी विकसित करने वाली अमेरिकी कंपनियों के अपने खुफिया संग्रह को तेज कर दिया है. वहीं सी.आई.ए., कुछ साल पहले से ए.आई., क्वांटम कंप्यूटिंग और ऐसे अन्य उपकरण विकसित करने वाली चीनी कंपनियों के डेटा एकत्र करने में संसाधन लगा रहा है.


हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी लंबे समय से आर्थिक खुफिया जानकारी इक्ट्ठा करती रहै, लेकिन रक्षा कंपनियों के बाहर वाणिज्यिक तकनीकी प्रगति पर विस्तृत जानकारी इकट्ठा करने से संयुक्त राज्य अमेरिका बचता था. लेकिन चीन की उभरती टेक्नोलॉजी के विकास के बारे में जानकारी अब उसकी पारंपरिक सैन्य शक्ति या उसके नेताओं की साजिशों का अनुमान लगाने जितनी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है.