Pakistan: झूठी खबरें फैलाने वाला पाकिस्तान अब खुद फेक न्यूज से डरा, बचने के लिए गरीबी में भी खर्च करेगा 2 अरब रुपये
Advertisement
trendingNow12593419

Pakistan: झूठी खबरें फैलाने वाला पाकिस्तान अब खुद फेक न्यूज से डरा, बचने के लिए गरीबी में भी खर्च करेगा 2 अरब रुपये

Pakistan News: भारत के खिलाफ लगातार झूठी खबरें और प्रचार चलाने वाले पाकिस्तान को अब खुद फेक न्यूज का डर सता रहा है. इसका मुकाबला करने के लिए सरकार ने भारी भरकम रकम भी जारी करने का फैसला किया है.

Pakistan: झूठी खबरें फैलाने वाला पाकिस्तान अब खुद फेक न्यूज से डरा, बचने के लिए गरीबी में भी खर्च करेगा 2 अरब रुपये

Pakistan News: भारत के खिलाफ लगातार झूठी खबरें और प्रचार चलाने वाले पाकिस्तान को अब खुद फेक न्यूज का डर सता रहा है. इसका मुकाबला करने के लिए सरकार ने भारी भरकम रकम भी जारी करने का फैसला किया है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संघीय सरकार ने राज्य संस्थाओं को निशाना बनाकर फर्जी खबरों और गलत सूचना अभियानों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए 2 अरब रुपये आवंटित किए हैं.

फेक न्यूज से डरा पाकिस्तान

वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब की अध्यक्षता में आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया. इस कदम का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता को कमजोर करने के लिए जानबूझकर फैलाई जा रही गलत सूचनाओं का मुकाबला करने की कोशिशों को मजबूत करना है. आवंटित बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, (1.945 बिलियन रुपये), रक्षा मंत्रालय को जाएगा. बताया जा रहा है कि इस कदम को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का भी समर्थन हासिल है.

बचने के लिए कर रहा इंतजाम

रिपोर्ट के मुताबिक विस्तृत ब्रीफिंग में ईसीसी को बताया गया कि सेना की पब्लिस रिलेशंस विंग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) गलत सूचनाओं से निपटने में सबसे आगे है. हालांकि, आईएसपीआर की क्षमताओं को बढ़ाने की जरुरत है क्योंकि गलत सूचना फैलाने वालों की रणनीति लगातर बदल रही है.

सारी उम्मीदें विदेशी कर्ज पर ही टिकी हैं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के इस फैसले ने पाकिस्तान के नागरिकों को और अधिक नाराज कर दिया है जो रिकॉर्ड-उच्च मुद्रास्फीति, गरीबी और बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. बता दें पाकिस्तान लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसकी सारी उम्मीदें विदेशी कर्ज पर ही टिकी हैं. आलोचकों ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसे तत्काल घरेलू संकटों को संबोधित करने के बजाय नैरेटिव कंट्रोल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार की आलोचना की है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Trending news