दूसरे देशों की जमीन हड़पने वाला चीन अब लिख रहा साजिश की नई स्क्रिप्ट, भारत पर क्या पड़ेगा इसका असर
China Dam Plan: ताइवान जैसे छोटे देशों पर अपनी ताकत की नुमाइश करने वाला ड्रैगन यानी चीन अब बांध के जरिए तबाही की तैयारी में जुटा है. तो चलिए आपको बताते हैं कि जमीनखोर चीन का डैम प्लान क्या है और भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा.
China Brahmaputra River Dam: अब तक दूसरे देशों की जमीन हड़पने वाला चीन साजिश की नई स्क्रिप्ट लिख रहा है और ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बांध बनाने की तैयारी कर रहा है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर बांध से क्या परेशानी हो सकती है. दरअसल, समस्या बांध नहीं, बल्कि बांध को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उसकी रेड आर्मी की मंशा है. तो चलिए आपको बताते हैं कि जमीनखोर चीन का डैम प्लान क्या है और भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा.
भारत, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए खतरे की घंटी
ताइवान जैसे छोटे देशों पर अपनी ताकत की नुमाइश करने वाला ड्रैगन अब बांध के जरिए तबाही की तैयारी में जुटा है. ये सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन जिनपिंग ने इसके लिए अपने सबसे बेहतरीन इंजीनियरों और आर्किटेक्ट से ब्लूप्रिंट तैयार करवा लिया है. इतना ही नहीं, जानकारी है कि जिनपिंग के आदेश के बाद ब्रह्मपुत्र नदी पर एक ऐसा निर्माण हो रहा है, जो भारत, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों के लिए खतरे की घंटी है.
ब्रह्मपुत्र नदी की ग्रेट बैंड को लेकर ड्रैगन का डेडली प्लान!
ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूड यानी ASPI की एक रिपोर्ट में इस खतरे के बारे में चेतावनी दी गई है. चीन की योजना ब्रह्मपुत्र नदी की हाइड्रोपावर क्षमता के सबसे बड़े सेंटर ग्रेट बेंड पर बांध बनाने की है. ये जगह चीन की तरफ है और नदी यहां तेज मोड़ लेती है. अरुणाचल प्रदेश में पहुंचने से पहले इसी जगह पर ब्रह्मपुत्र नदी एक घाटी में बढ़ते हुए 3000 मीटर नीचे गिरती है. चीन इसे दुनिया का सबसे ताकतवर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट कहता है. इसकी विशालता और इसकी जगह को देखते हुए इसे सुपर डैम भी कहा जा रहा है.
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जब चाहे बाढ़ और जब चाहे सुखाड़ ला देगा चीन
दावा किया जा रहा है कि इस बांध के जरिए चीन इस पूरे इलाके को नैचुरली कंट्रोल कर पाएगा. बांध की मदद से जिन जब चाहेगा बाढ़ और जब चाहे सुखाड़ के हालात बना लेगा. अगर ऐसा संभव होता है तो आने वाले समय में ये भारत के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी. दरअसल, 2002 में ब्रह्मपुत्र पर अपना पहला डेटा समझौता किया था. इसके तहत चीन ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर कई तरह की जानकारी साझा करता है. पहली बार ये समझौता 5 साल के लिए किया गया था, जिसे 2008, 2013 और 2018 में रेन्यू किया गया. 2023 में ये एग्रीमेंट खत्म हो चुका है और दोनों देशों के बीच तनाव की वजह से इसे रेन्वयू नहीं किया जा सका.
भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा चीन
अब जानकार मानते हैं कि इस बांध के जरिए ड्रैगन भारत पर दवाब बनाने की कोशिश करेगा. इतना ही नहीं दोनों देशों के बीच ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर अगर एग्रीमेंट रेन्यू होता है तो इसमें भी चीन अपने सुपर डैम को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है.