Ali Amin Gandapur: इस राज्य के मुख्यमंत्री हो गए `लापता`, खोज के लिए सरकार पहुंची हाई कोर्ट
Khyber Pakhtunkhwa Chief minister: उनके अचानक लापता होने का रहस्य रविवार को तब और गहरा गया जब गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि वह किसी संघीय एजेंसी की हिरासत में नहीं हैं.
Pakistan News: पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेता अली अमीन गंडापुर लापता हो गए हैं. अली अमीन कबीलाई प्रांत खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री हैं. उनकी बारे में अंतिम सूचना के तहत कहा जा रहा है कि वह शनिवार को अपने राज्य से इस्लामाबाद तक अपनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के विरोध मार्च का नेतृत्व करने के बाद आधिकारिक आवास पर आराम करने गए थे. उसके बाद शनिवार शाम को राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद स्थित अपने आधिकारिक आवास से लापता हो गए.
उनके अचानक लापता होने का रहस्य रविवार को तब और गहरा गया जब गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि वह किसी संघीय एजेंसी की हिरासत में नहीं हैं. नकवी ने कहा कि सरकार को मुख्यमंत्री के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने दावा किया कि वह पुलिस के वहां पहुंचने से पहले ही चले गए थे. नकवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पुष्टि कर सकता हूं कि वह सरकार की किसी भी एजेंसी की हिरासत में नहीं हैं.’’
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मंत्री ने कहा कि पुलिस मुख्यमंत्री की तलाश कर रही है, जो किसी अज्ञात स्थान पर छिपे हुए बताए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस ने कुछ स्थानों पर छापेमारी भी की है, लेकिन वह नहीं मिले.’’ गृह मंत्री के दावे ने गंडापुर के अचानक लापता होने के रहस्य को और गहरा कर दिया है. खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अली सैफ के अनुसार, प्रांतीय सरकार और मुख्यमंत्री का परिवार उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. ‘जियो न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रांतीय सरकार ने गंडापुर के लापता होने के मामले में रविवार को पेशावर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
गौरतलब है कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रविवार को भी तनाव बना रहा. दरअसल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. सैकड़ों पीटीआई समर्थकों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे पार्टी नेता इमरान खान से अगले निर्देश मिलने तक संसद के सामने डी-चौक पर विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.
पाकिस्तान सरकार ने पश्तून राजनीतिक दल को प्रतिबंधित किया
इस बीच पाकिस्तान सरकार ने जातीय पश्तून समुदाय के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले राजनीतिक दल पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार देते हुए रविवार को प्रतिबंधित कर दिया. गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘संघीय सरकार के पास यह मानने के कारण हैं कि पीटीएम देश की शांति और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली कुछ गतिविधियों में संलिप्त है... सरकार पीटीएम को प्रतिबंधित संगठन के रूप में प्रथम अनुसूची में सूचीबद्ध करती है.’’
पीटीएम अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली क्षेत्र में सक्रिय है और अक्सर पाकिस्तानी सेना की कटु आलोचना किया करता है. अधिसूचना में, आतंकवाद-रोधी अधिनियम, 1997 की धारा 11बी के तहत इस पार्टी को ‘‘गैर-कानूनी’’ घोषित किया गया है.
मंजूर पश्तीन के नेतृत्व में यह समूह कुछ वर्षों से सक्रिय है और इसका नेतृत्व अफगान सीमा से लगे कबायली क्षेत्र की समस्याओं के लिए पाकिस्तानी सेना को दोषी ठहराता है.
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पीटीएम की शुरुआत मई 2014 में महसूद तहफुज आंदोलन के रूप में हुई थी, जब छात्रों के एक समूह ने वजीरिस्तान और कबायली क्षेत्र के अन्य हिस्सों से बारूदी सुरंगों को हटाने की पहल के रूप में इसका गठन किया था. पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि यह समूह देश के भीतर और बाहर, खास तौर पर अफगानिस्तान में सक्रिय राष्ट्र-विरोधी तत्वों का प्यादा बन गया है. हालांकि, पीटीएम ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है.
पिछले वर्ष दिसंबर में, पीटीएम प्रमुख पश्तीन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब उनके सुरक्षा कर्मियों ने कथित तौर पर पुलिस पर गोलीबारी की थी. वर्ष 2019 में इस्लामाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. यह याचिका उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा बलों और पीटीएम प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में तीन लोगों की मौत और पांच सैनिकों के घायल होने के एक दिन बाद दायर की गई थी.
इसके बाद, अस्मा जहांगीर कांफ्रेंस में पश्तीन के भाषण के बाद 2022 में, उन पर आतंकवाद के आरोपों में मामला दर्ज किया गया था. उन्होंने उस भाषण में पाकिस्तानी सेना की आलोचना की थी
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)
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