Manmohan Singh Pakistan Village: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शान में शब्दों को चुनना आसान काम नहीं है, कोई भी लफ्ज चुनते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे अभी थोड़ी सी कसक बाकी है. इसलिए सिर्फ उनके नाम का ही इस्तेमाल करते हैं.... मनमोहन सिंह नहीं रहे. दिल्ली AIIMS में गुरुवार की रात उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. कहा जा रहा है कि मनमोहन सिंह को बेहोश होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था और इस बार वो मौत से जंग हार गए. 


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मनमोहन सिंह अविभाजित भारत में पंजाब के चकवाल जिले के 'गाह' में पैदा में 4 फरवरी 1932 को पैदा हुए थे. हालांकि अब ये गांव और जिला पाकिस्तान में है. मनमोहन सिंह के रहते हुए ये गांव कई बार चर्चा में आया, तो उनके दुनिया को अलविदा कहने के वक्त भी इसको याद करना लाज़मी सा हो गया है. वो इसलिए भी क्योंकि मनमोहन सिंह के पुराने घर को देखकर बड़ी हैरानी होती है. कुछ वर्ष पुराने वीडियोज देखते हैं तो कच्ची मिट्टी की ईंटों से बना पुराना घर टूटी फूटी हालत में मौजूद है. 



हालांकि हम खुद तो वहां नहीं गए लेकिन इंटरनेट की दुनिया पर इस संबंध में कुछ कंटेट मौजूद है. 6-7 वर्ष पुरानी तस्वीरें देखें तो उनके घर की दीवारें, दरवाजे सही सलामत खड़े हैं. हालांकि कुछ ही वर्ष बाद ये कच्ची दीवारें अपने ऊपर रखे बोझ से तंग आकर गिर जाती हैं. 


2004 के बाद बदली गांव की गिस्मत


2004 में लोकसभा चुनाव होने के बाद जब मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार शपथ ली तो ना सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत कंधे मिल गए थे बल्कि पाकिस्तान के इस छोटे से गांव के लोगों की किस्मत भी चमक गई थी. इस मौके पर मनमोहन सिंह के बचपन के दोस्त राजा मोहम्मद अली ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने पर बधाई संदेश भी भेजा था. बाद में राजा मोहम्मद अली भारत में आए थे और अपने बचपन के दोस्त से भी मुलाकात की थी. 27 सितंबर 2010 को राजा मुहम्मद अली का देहांत होने के बाद मनमोहन सिंह गांव वालों के नाम एक शोक संदेश भी भेजा था. 



गांव वालों के घर और गलियां की रोशन


मनमोहन सिंह अपने इस गांव के लिए कई ऐसे काम करवाए जो पाकिस्तानी सरकार ना करवा सकी. दरअसल मनमोहन सिंह के आदेश पर पाकिस्तान के इस गांव में भारत से एक टीम पहुंची थी, जिसने यहां के लोगों पेश आ रही परेशानियां का जायजा लिया था, साथ ही उन परेशानियों के हल भी निकाले गए थे. एक जानकारी मुताबिक कई घर ऐसे थे जहां बिजली नहीं थी.  बाद में मनमोहन सिंह के कहने पर टाटा बीपी सोलर कंपनी के कुछ इंजीनियर उस गांव में पहुंचे और 50 से भी ज्यादा सोलर पैनल लगाए. 



मस्जिद में लगवाए गीजर


इसके अलावा गांव की गलियां रात में रोशन रहें, इसके लिए 16 स्ट्रीट लाइट्स भी लगवाई थीं. ये लाइट्स भी सोलर वाली ही थीं. इतना ही नहीं, भारतीय इंजीनियरों ने सोलर लाइट से चलने वाले गीजर और तीन बायोगैस प्लांट भी लगाए थे. गांव 2-3 मस्जिदें भी मौजूद हैं, ऐसे में उन मस्जिदों के लिए भी पूर्व प्रधानमंत्री ने कई काम करवाए. उन्होंने मस्जिद में भी गीजर लगवाए क्योंकि ठंड के मौसम में नमाजियों को परेशानी हो का सामना करना पड़ता था.