वर्ल्ड बैंक ने बेइज्जत किया.. तो `भिखारी PAK` को इस बैंक ने बचाया, आखिरकार फिर मिल गया बड़ा लोन
Pakistan News: यह सब तब हुआ है जब विश्व बैंक ने पाकिस्तान को मिलने वाले 500 मिलियन डॉलर से अधिक के बजट समर्थन कर्ज को रद्द कर दिया. कारण यह है कि पाकिस्तान समय पर महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करने में विफल रहा.
Pakistan ADB Loan: पाकिस्तान की हुकूमत कितना भी देश के बारे में डींगे हांकती रहे लेकिन वह देश लगातार दूसरों के ही भरोसे टिका रहता है. इसी कड़ी में पाकिस्तान ने शनिवार को एशियाई विकास बैंक (ADB) के साथ 330 मिलियन डॉलर के कर्ज का समझौता किया. यह फंड इंटीग्रेटेड सोशल प्रोटेक्शन डेवलपमेंट प्रोग्राम (ISPDP) के लिए दिया गया है. आर्थिक मामलों के सचिव काज़िम नियाज़ और एडीबी की कंट्री डायरेक्टर एम्मा फैन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए.
वर्ल्ड बैंक ने लोन देने से मना कर दिया..
असल में न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक आर्थिक मामलों के सचिव ने इस फंडिंग के महत्व को खुद बताया. उन्होंने बताया कि यह पैसा संस्थागत क्षमता को मजबूत करने और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सेवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा. उन्होंने ADB के लगातार समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने पाकिस्तान की बेइज्जती करते हुए लोन देने से मना कर दिया था.
क्या-क्या करेगा पाक
इस मौके पर एम्मा फैन ने कहा कि एडीबी पाकिस्तान को सामाजिक सुरक्षा तंत्र को बेहतर बनाने में सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि यह फंड गरीब और कमजोर वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, कौशल विकास, और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
वर्ल्ड बैंक ने क्यों नहीं दिया था?
यह सब तब हुआ है जब विश्व बैंक ने पाकिस्तान को मिलने वाले 500 मिलियन डॉलर से अधिक के बजट समर्थन कर्ज को रद्द कर दिया. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इस फैसले का मुख्य कारण यह है कि पाकिस्तान समय पर महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करने में विफल रहा. इनमें चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत पावर परचेज एग्रीमेंट्स में संशोधन भी शामिल है.
विश्व बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मौजूदा वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान को कोई नया बजट समर्थन लोन नहीं देगा. इसके अलावा, यह निर्णय पाकिस्तान के लिए नए 2 बिलियन डॉलर के कर्ज की उम्मीदों को झटका दे सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि CPEC के तहत पावर प्लांट्स से जुड़ी वार्ताओं में कोई प्रगति नहीं हुई है, जिससे ऊर्जा ऋण को पुनर्गठित करने की योजना अधर में लटक गई है.