Pakistan Army Vs TTP: पाकिस्तान में पिछले 77 सालों में कभी ऐसा नहीं हुआ..पाकिस्तान की सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाना चाहती है. लेकिन पाकिस्तान का ही एक प्रांत इसका विरोध कर रहा है. दावा है कि तालिबान इसकी शह दे रहा है. अफगानिस्तान से तालिबान की सरकार कैसे इस्लामाबाद की मुश्किलें बढ़ा रही हैं. अगर कहा जाये कि पाकिस्तान के अंदर एक बहुत बड़ी अफरा-तफरी और एक जंग का माहौल है तो गलत नहीं होगा.


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पाकिस्तान के पश्तून कर रहे ऑपरेशन का विरोध


तालिबान का ऑपरेशन इस्लामाबाद शुरु हो गया है. पाकिस्तानी जनरल के इलाके में ही तालिबान धमाका कर रहा है. पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाना चाहती है और पाकिस्तान के पश्तूनों ने इसका विरोध किया है..नई ब्रेकिंग न्यूज सुनकर पाकिस्तानी पीएम और जनरल दोनों अलर्ट हो गए हैं.


खैबर पख्तूनख्वा से जुड़ा है मामला


पूरा मामला पाकिस्तान के प्रांत खैबर पख्तूनख्वा से जुड़ा है. जहां पर मुख्यमंत्री ने पश्तून कबाइलियों की एक मीटिंग जिरगा अपने घर पर रखी और कबायली नेताओं ने इस मुलाकात में पाकिस्तान सेना के एंटी टेरर ऑपरेशन का विरोध किया. यानी पाकिस्तान के एक राज्य की सरकार अपनी ही सेना के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठ गई है.पाकिस्तान में सिर्फ कहने के लिये ही शहबाज शरीफ प्राइम मिनिस्टर हैं. वहां असली हुकूमत फौज और उसके जनरल की ही चलती है. पर इस बार तो फौज की बात पाकिस्तान की राज्य सरकारें भी नहीं सुन रही हैं.


असल में ये पूरा मसला पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का है. पिछले कुछ समय से पाकिस्तानी सेना पर लगातार टीटीपी के लड़ाके हमले कर रहे हैं. टीटीपी को अफगानिस्तान का तालिबान संरक्षण दे रहा है और तालिबान ने टीटीपी पर एक्शन लेने से भी मना कर दिया है.


करीब 6 हजार आतंकी मौजूद


अफगानिस्तान का रोल तो एक लिहाज से बनता है, अगर वो चाहें तो शायद हालात में बेहतरी आ सकती है लेकिन वो बंदूक के जोर पर उनको नहीं रोक सकते. पाकिस्तान में मायूसी है, पाकिस्तान में नाउम्मीदी है, पाकिस्तान अफगान तालिबान की इस बात को नहीं मानते. वो(TTP) वहां पर नहीं हैं. यूएन की रिपोर्ट 3 जुलाई को आई है, जिसमें कहा है कि 6 हजार से साढ़े 6 हजार तक टीटीपी के लोग वहां पर मौजूद हैं.


हैरानी की बात है कि जिस पाकिस्तान ने तालिबान को खड़ा किया..वही इस्लामाबाद का ऑर्डर मानने से इनकार कर रहा है. पाकिस्तान ने प्रेशर बढ़ा दिया है अब आशंका है कि पाकिस्तान के खिलाफ हमलों को तालिबान से भी सीधी मदद मिल सकती है.