Pakistan News: बलोचिस्तान में पाक के खिलाफ बगावत! इस्लामाबाद में फैल रहा `1971` वाला डर
Pakistan News in Hindi: पाकिस्तान में इन दिनों `1971` वाला डर तेजी से फैल रहा है. वहां पर बलोचिस्तान के हजारों लोग अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करते हुए इस्लामाबाद तक पहुंच गए हैं.
Balochistan Movement Against Pakistan Army: अक्सर किसी बड़ी आग की शुरुआत एक चिंगारी से होती है..पाकिस्तान में भी ऐसी ही एक चिंगारी है जिसका नाम है बलोचिस्तान. इस्लामाबाद के अत्याचारों से तंग आकर बलोचिस्तान के हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. ये आंदोलन पूरे पाकिस्तान से होता हुआ इस्लामाबाद पहुंच गया है. इस प्रदर्शन में वो महिलाएं शामिल हैं जिनके परिवार के लोगों का पाकिस्तानी सेना ने पहले अपहरण किया. फिर टॉर्चर करके उनकी जान ले ली. आजकल कई पाकिस्तानी तो ये भी मानते हैं कि उन्होंने जो गलती बांग्लादेश में की, वही फिर से बलोचिस्तान में दोहरा रहे हैं.
क्यों तेज हुआ बलोचिस्तान का आंदोलन?
बलोचिस्तान में आंदोलन की तात्कालिक वजह पुलिस हिरासत में एक शख़्स की मौत होना बताया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि सेना ने कुछ बलोच लोगों का अपहरण किया. उनको टॉर्चर किया जिससे उनकी मौत हो गई.बलोचिस्तान के तुरबत से ये आंदोलन शुरु हुआ और खुज़दार होते हुए बलोचिस्तान की राजधानी क्वेटा पहुंच गया. इसके बाद डेरा गाज़ी खान और तौंसा होते हुए ये इस्लामाबाद में दाखिल हो गया है. सड़क पर उतरे बलोचिस्तान की जनता के सवालों से पाकिस्तानी सेना और पीएम के पसीने छूट रहे हैं.
इस्लामाबाद पहुंचे हजारों प्रदर्शनकारी
बलोच नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलोच की लीडरशिप में ये मार्च इस्लामाबाद पहुंचा है. बीती रात से ही इस्लामाबाद पुलिस लगातार कोशिशें करके बलोच प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिशें कर रही हैं. पुलिस ने लोगों को तितरबितर करने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े और जबरदस्त ठंड में भी पानी की बौछार बरसाई..इसके बाद भी लोग नहीं रुके तो इस्लामाबाद की सरकार ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर लिया.
बलोचिस्तान की लीडर महरंग बलोच कहती हैं, 'बलोचिस्तान के लिए इस्लामाबाद में जगह नहीं है तो आप यही करें. ख़ुदा के लिए हम सर्दी में बैठेंगे, यहां बैठेंगे, ठीक है.' महरंग आगे कहती हैं, 'हमने बार-बार कहा कि हम यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं. 27 दिनों से ये आंदोलन जारी है. इस आंदोलन में बलोचिस्तान के हर तहसील से हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए हैं.'
'आप इस तहरीक को कुचल नहीं सकते'
महरंग पाकिस्तानी सेना को चेतावनी देती हैं, 'आप इस तहरीक को इस तरह कुचल नहीं सकते हैं. यहां जब हम पहुंचे तो रास्ते बंद कर दिये गये और पुलिस का जबरदस्त बंदोबस्त किया गया. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसा की कोशिश की गई. लेकिन हमने बार-बार कहा है कि ये आंदोलन बलोच के नरसंहार के खिलाफ जारी है और हमें शांतिपूर्ण तरीके से इसे आगे लेकर जाना है.'
बलोच नेता महरंग अपनी नाराजगी जताते हुए कहती हैं, बलोचिस्तान में दशकों से जबरन गुमशुदगी का मसला चल रहा है. पहले 2006 में लापता लोगों की लाशें फेंकी गई और अब लोगों को फेक एनकाउंटर में मारा जा रहा है. पूरे बलोचिस्तान की यही डिमांड है कि हमारे लोगों को जीने दिया जाए. क्या मसला है कौम से? क्यों हमारे नौजवानों को ले जाकर मारते हो? क्यों हमारी औरतों को अगवा करते हो? क्यों हमें आतंकवादी कहते हो?
पाकिस्तान को याद आ रहा '1971'
बलोचिस्तान की लीडर महरंग बलोच की वॉर्निंग सुनकर पाकिस्तान को 1971 याद आ गया है. पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ पाकिस्तान की सड़कों पर ही बगावत शुरु हो गई है.
पाकिस्तान की राजनीतिक एक्सपर्ट आलिया शाह कहती हैं, 'रावलपिंडी में इन दिनों बलोच नरसंहार बंद करो, तुम मारोगे हम निकलेंगे जैसे नारे लग रहे हैं. बलोचिस्तान में पाक के खिलाफ बगावत तेज हो गई है. पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे बलोचिस्तान में बड़ी तादाद में प्रदर्शन हो रहे हैं. 2020-2021 की रिपोर्ट बताती है कि तकरीबन 12 हजार से 15 हजार केस दर्ज हैं बलोच लापता लोगों के, जिसको जबरी गुमशुदगी भी कहा जाता है यानी जिनको जबरन अगवा किया गया.'
पाकिस्तानी पत्रकार असद अली तूर कहते हैं, तुरबत में एक फर्जी एनकाउंटर में बलोच नौजवानों को कत्ल किया गया और ये पहला वाकया नहीं था.
पीड़ित परिवार को 7 करोड़ देने की कोशिश
बलोचिस्तान में होने वाले प्रदर्शनों को पाकिस्तान में कवरेज नहीं मिलती है. पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों के मुताबिक सेना ने इस मामले को ठंडा करने के लिए पीड़ित परिवार को 7 करोड़ पाकिस्तानी रुपये देने की कोशिश की पर बलोच लोगों ने इसे ठुकरा दिया.
पाकिस्तान में ऐसे प्रदर्शनों को देखकर वहां के लोगों को 1971 की याद आ रही है. उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में ऐसे ही आंदोलन हुए..और फिर बढ़ते-बढ़ते आजादी का आंदोलन शुरु हो गया था. 1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश में भी इस्लामाबाद के खिलाफ बगावत को कुचलने का प्रयास किया गया था.
क्यों भड़के हुए हैं बलोचिस्तानी?
इसी तरह साल 1948, 1958, 1962, 1977 और 2000 के दशक में पाकिस्तानी सेना ने बलोचिस्तान में बगावत कुचलने की असफल कोशिश की.1971 से पहले इस्लामाबाद ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग-थलग किया, उन्हें मदद देना बंद कर दिया था. इस समय बलोचिस्तान भी पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है. वहां गैस, कोयला और तांबे के भंडार हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उस इलाके का विकास करने की कोशिश तक नहीं की
कानों में गूंज रहा पीएम मोदी का बयान
साल 1971 में भारत ने बांग्लादेश को अलग देश बनाने में मदद की थी. इसलिए जब 2016 में पीएम मोदी ने बलोचिस्तान पर बयान दिय़ा..तो पाकिस्तान परेशान हो गया. तब पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से संबोधित करते हुए कहा था, 'पिछले कुछ दिनों से बलूचिस्तान के लोगों ने, Gilgit के लोगों ने, पाक Occupied कश्मीर के लोगों ने, वहां के नागरिकों ने जिस प्रकार से मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है, जिस प्रकार से मेरा आभार व्यक्त किया है, मेरे प्रति उन्होंने जो सद्भावना जताई है, दूर-दूर बैठे हुए लोग जिस धरती को मैंने देखा नहीं है, जिन लोगों के विषय में मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन ऐसे दूर सुदूर बैठे हुए लोग हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री को अभिनन्दन करते हैं, उसका आदर करते हैं, तो मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का आदर है, वो मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है.'
इस समय पाकिस्तान में भयंकर उथल-पुथल मची हुई है. अब तक ऐसा प्रदर्शन इस्लामाबाद से दूर बलोचिस्तान में होते थे. पर इस बार अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन हुआ है और ये देखकर पाकिस्तानी जनरल और वजीर दोनों को सिंहासन का डर सता रहा है.