Pakistan News: पाकिस्तान की सरकार ने एक बार फिर चरमपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं. ऑपरेशन अज़्म-ए-इस्तेहकाम को हरी झंडी दिए जाने के दो दिन बाद ही शहबाज शरीफ सरकार बैकफुट पर आ गई. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने जब से ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम पर सफाई दी तब से पाकिस्तान से पाकिस्तान की नीति और नीयत दोनों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे पहले बताते हैं कि आखिरकार पाकिस्तान के वजीर ए आजम यानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने बोला क्या है.


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शरीफ ने कहा, 'देश में बड़े पैमाने पर कोई सैन्य अभियान नहीं किया जा रहा है. हाल ही में घोषित अज्म-ए-इस्तेहकाम को गलत तरीके से समझा गया.'


'जर्ब-ए-अज्ब' के बाद 'अज्म-ए-इस्तेहकाम'


दरअसल, पाकिस्तान ने 15 जून 2014 को अफगानिस्तान सीमा से लगे उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में आतंकियों के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसे जर्ब-ए-अज्ब नाम दिया गया था. अभियान शुरू होने के एक महीने के भीतर इलाके से 80 हजार परिवारों से जुड़े लगभग 9.5 लाख लोगों को विस्थापित किया गया था. लिहाज़ा, ऑपरेशन 'अज्म-ए-इस्तेहकाम' को लेकर भी विपक्षी दलों ने आवाज़ बुलंद कर दी, और कहने लगे कि एक बार लोगों को विस्थापित किया जाएगा.


क्या है ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम?


- पाकिस्तान की शहबाज़ सरकार ने साफ किया कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम देश में स्थायी स्थिरता के लिए चलाया जा रहा एक ऑपरेशन है. 
- इसका उद्देश्य एक राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और आतंकियों को जड़ से उखाड़ फेंकना है.

लेकिन, अब जो हालात बनते दिख रहे हैं, उसमें लगता नहीं कि चीन के दबाव में पाकिस्तान सरकार का शुरु किया गया ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम ज़मीन पर उतर पाएगा.


पाकिस्तान की इंटरनेशनल बेइज्जती


पाकिस्तान अपने देश में आतंकी संगठनों को पालने पोसने के लिए बदनाम रहा है. वो आर्थिक संगठनों की निगरानी में रहा है. FATF की ग्रे लिस्ट में नाम रहने की वजह से उसे काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में एक ओर अपने देश में पल रहे आतंकवादियों को काबू में रखने की मजबूरी तो दूसरी ओर जब खुद वो आतंकवाद का शिकार हुआ और उसके अपने सगे और करीबी मित्र राष्ट्र चीन के लोगों की जान पर बन आई तो उसे मजबूरी में ऐसे ऑपरेशन लॉन्च करने पड़े. ऐसे में इस ऑपरेशन को लेकर जैसे ही शहबाज शरीफ की सरकार बैकफुट में आई तो एक बार फिर से पाकिस्तान की इंटरनेशनल किरकिरी हो गई.