Pakistan on Kashmir Solidarity Day 2024: एक तरफ तो पाकिस्तान अपनी पाताल में पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था, डांवाडोल राजनैतिक स्थिति और लगभग हर हिस्से से उठ रही आज़ादी की आवाज़ से परेशान है वहीं दूसरी तरफ कश्मीर को लेकर उसका पागलपन कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस साल भी पाकिस्तान ने भारी फंड खर्च करके 5 फ़रवरी को  Kashmir Solidarity Day मनाया. हालांकि न तो विदेशों में और न ही पाकिस्तान के अंदर उसका कुछ असर पड़ा. विदेशों में इसे कहीं से समर्थन नहीं मिल पाया और न ही पाकिस्तान के दूतावास कोई बड़ी भीड़ एकत्र कर पाए.
 
सोशल मीडिया में करवाया ट्रेंड


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पाकिस्तान ने 1990 से Kashmir Solidarity Day मनाकर पूरी दुनिया में कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार शुरू किया था जो हर साल जारी रहता है. इस साल भी पाकिस्तान ने देश-विदेश में इसे मनाकर कश्मीर मुद्दे को उठाया. 31 जनवरी से 5 फ़रवरी तक पाकिस्तान की प्रोपेगेंडा मशीन ने इसे सोशल मीडिया में फैलाना शुरू किया. हज़ारों ट्विटर हैंडल्स से KashmirSolidarityDay और KashmirRejectsBharat जैसे हैशटैग ट्रेंड कराए गए.


दूतावास कर्मियों को दे दी गई छुट्टी


पाकिस्तान के 6 दूतावासों और 14 पाकिस्तानी संस्थाओं को इस काम में लगाया गया ताकि 5 फ़रवरी को ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाई जा सके. अमेरिका के अलावा लीबिया, बोस्निया, कज़ाखस्तान, बेल्ज़ियम, हंगरी  जैसे देशों में पाकिस्तानी दूतावासों ने अपने यहां छुट्टी घोषित कर दी ताकि उनके कर्मचारी 5 फरवरी को ज्यादा से ज्यादा भारत विरोधी भीड़ जुटा पाएं. पाकिस्तानी कट्टरपंथियों द्वारा चलाए जा रहे थिंक टैंक्स ने सेमिनार आयोजित किए, जिनमें आईएसआई के प्रायोजित लोगों ने कश्मीर के बारे में झूठ फैलाया. 


लोगों ने मनाया People's Rights Day


हालांकि सारी मेहनत से ज्यादा कुछ हासिल नहीं हो पाया. प्रदर्शनों में लोग नहीं आए. यहां तक कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में भी प्रदर्शन में केवल आईएसआई के लोग ही शामिल हुए, आम लोगों ने इससे दूरी बनाकर रखी. पाक अधिकृत कश्मीर में लोगों ने पहली बार Kashmir Solidarity Day के प्रोपेगैंडा के खिलाफ़ People's Rights Day मनाया.


'पाकिस्तानी सेना संसाधनों को लूट रही'


पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना के कड़े पहरे के बावजूद रावलाकोट और उसके आसपास के इलाक़ों में कई रैलियां हुईं जिनमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए. यहां के निवासियों का कहना था कि Kashmir Solidarity Day केवल पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को जायज ठहराने के लिए मनाया जाता है. यहां के निवासियों ने इलाके के खराब हालात, आटे और पीने के पानी की किल्लत और बिजली की मांग करते हुए रैलियां निकालीं. उनका कहना था कि पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी पीओके के संसाधनों को लूट रहे हैं और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है.