Pakistan Economic Crisis Update: कंगाली में पूरी तरह डूब चुके पाकिस्तान को समझ नहीं आ रहा है कि हालात पर काबू पाने के लिए वह क्या करे. भारत से बिगड़े संबंधों की वजह से वह उससे मदद मांग नहीं सकता और IMF-वर्ल्ड बैंक की सख्त पाबंदियों की वजह से उससे आसानी से मदद मिल नहीं सकती. ऐसे में उसने एक बार फिर अपने 'आयरन फ्रेंड' चीन के आगे हाथ फैलाया है. पाकिस्तान ने चीन से 10 बिलियन यानी 10 अरब चीनी युआन की मदद देने की गुहार लगाई है. यह मदद चीन की ओर से पहले से दी जा रही मदद के अतिरिक्त मांगी गई हैं. 


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पाकिस्तान ने फिर फैलाया चीन के आगे हाथ


मीडिया में रविवार को सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने चीन से अतिरिक्त 10 बिलियन युआन यानी 1.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर ऋण देने का अनुरोध किया है. पाकिस्तान ने कंगाली का रोना रोते हुए कहा है कि वह चीन की ओर से दी गई 30 बिलियन युआन (4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की चीनी व्यापार सुविधा का पहले ही इस्तेमाल कर चुका है. ऐसे में अब उसे दूसरे देशों से आयात करने के लिए फिर से मदद की जरूरत है. 


वाशिंगटन में आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों में भाग लेने गए पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने मौका निकालकर चीन के वित्त उप मंत्री लियाओ मिन से मुलाकात की. इस बैठक में पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने चीन से मुद्रा विनिमय समझौते के तहत पहले से दी गई चीनी व्यापार सुविधा को 30 अरब से बढ़ाकर 40 अरब युआन करने का अनुरोध किया. 


चीन के कर्जों के तले दबता जा रहा पाकिस्तान


द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन अभी पाकिस्तान के अनुरोध पर विचार कर रहा है. अगर वह इस अनुरोध को मंजूर कर लेता है तो जल्द ही बीजिंग की ओर से उसे दी जाने वाली सुविधा बढ़कर लगभग 5.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने लोन की लिमिट को बढ़ाने का अनुरोध किया है. वह पहले भी ऐसे कई अनुरोध कर चुका है, जिसे चीन ने नामंजूर कर दिया था. 


बार-बार आग्रह ठुकराने के बावजूद पाकिस्तान अपनी करनी से बाज नहीं आ रहा है. अब उसने फिर से चीन के सामने हाथ फैला दिया है. उसने चीन से यह भी अनुरोध किया है कि वह मौजूद 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (30 बिलियन युआन) की चीनी व्यापार सुविधा को अगले तीन वर्षों तक के लिए बढ़ा दे. इसके बाद पाकिस्तान और चीन के पीएम ने हाल में एससीओ समिट के दौरान मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए, जिससे पाकिस्तान की ऋण चुकौती अवधि 2027 तक बढ़ गई थी.


आखिर कब तक मददगार बनता रहेगा चीन?


पाकिस्तान पहले ही अपने कर्ज चुकाने के लिए चीन-पाकिस्तान मुद्रा विनिमय व्यवस्था के तहत मौजूदा 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 30 बिलियन युआन की व्यापार वित्त सुविधा का पूरा उपभोग कर चुका है. इस महीने की शुरुआत में, चार दिवसीय यात्रा पर पाकिस्तान पहुंचे चीनी प्रधान मंत्री ली कियांग ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने अर्थव्यवस्था, निवेश और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को और गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. . 


सरकारी रेडियो पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने की जरूरत पर भी जोर दिया. कहा जाता है कि ली की पाकिस्तान यात्रा 11 वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी. इससे पहले मई 2013 में ली केकियांग की आखिरी यात्रा थी.