Pakistan Economic Crisis Update: एक तरफ पाकिस्तान सरकार को बिल्लियों को पकड़ने के लिए 12 लाख का आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की आवाम को चावल और दूध के लिए 300 से 400 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. अब IMF ने पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में शहबाज की सरकार अब गधों के जरिए अर्थव्यवस्था सुधारने में जुटी है. पाकिस्तान की इकोनॉमी पर इन दिनों एक- दो नहीं बल्कि 5 प्रहार एक साथ हो गए हैं. क्या है 5 नए प्रहार, आइए आपको बताते हैं. 


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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हो चुकी है बेपटरी
 
दहशत और मजहब की नींव पड़ा खड़ा पाकिस्तान अब कंगाली के DEAD END पर पहुंच चुका है. दुनिया भर में दहशतगर्दों की सप्लाई करने वाले जिन्नालैंड का खाता अब कुछ ही दिनों में फ्रीज होने वाला है. ड्रैगन की भीख और IMF के कर्ज को पहिया बनाकर जो पाकिस्तान अब तक अपने दाना पानी का इंतजाम कर रहा था. अब उस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है. 


अपने दिए पैसों का हिसाब मांग रहा IMF


आर्थिक तंगी से परेशान पाकिस्तान की अब आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है. IMF ने अब पाकिस्तान से ना सिर्फ खर्चे का हिसाब मांगा है बल्कि कटोरा लेकर आर्थिक मदद मांगने आए पाकिस्तान के लिए अपना दरवाजा बंद कर दिया है. पाकिस्तान अब तक IMF से 6.28 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है. 4 महीने पहले ही IMF ने पाकिस्तान को 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया था. उस वक्त शहबाज शरीफ ने कहा था कि इन पैसों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधरेगी. लेकिन हर बार की तरह ये मदद भी आतंकियों और दहशतगर्दों पर खर्च कर दी गई. 


चावल के दाम 400 रुपये किलो के पार


पाकिस्तान में पाकिस्तान में पेट्रोल डीजल की कीमतें 300 रुपए तक पहुंच गई है. बैंकों के पास पैसे नहीं है, जिसकी वजह से लोगों को लोन नहीं मिल पा रहा है. चावल जैसी खाने की चीजों की कीमत 400 रुपए किलो पहुंच गई है. पाकिस्तान में लोगों के पास फ्लाइट तो दूर ट्रेनों में सफर करने लायक पैसा नहीं है. तंगहाली से जूझ रहा पाकिस्तान अब गधों की मदद से अपनी इकोनॉमी बूस्ट करने में लगा है.


क्या अब गधे सुधारेंगे देश के हालात?


पाकिस्तान के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश में गधों की संख्या एक साल में 1.72% से बढ़कर 59 लाख हो गई है. पाकिस्तान हर साल चीन को औसतन 5 लाख गधे निर्यात करता है. पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल कहा था कि गधों की बिक्री से फॉरेन रिजर्व जुटाए जाएंगे. हैरानी की बात है कि ड्रैगन को गधों का निर्यात करने से लोगों की कमाई में 40% का उछाल आया है.


इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान अब एक मुल्क नहीं बल्कि आतंकी तैयार करने की फैक्ट्री बन चुका है. यही वजह है कि पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है.


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