Pakistan govts surveillance order challenged in Lahore HC: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के एक कथित तुगलकी फैसले को लाहौर हाई कोर्ट (Lahore High Court) में चुनौती दी गई है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक शरीफ सरकार ने ISI को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर दूसरों की निजी जिंदगी में ताकाझांकी की जो छूट दी थी उसे चैलेंज किया गया है. फहाद शब्बीर नाम के शख्स ने सरकार के फैसले को चुनौती दी है. आपको बताते चलें कि शहबाज शरीफ ने अपनी जासूसी एजेंसी ISI को ये अधिकार दे दिया था जिसके जरिये ISI के अधिकारी मियां-बीवी की फोन की बातें सुनने के साथ उनके पर्सनल मैसेज पढ़ सकेंगे. अब उसी सरकारी नोटिफिकेशन को अदालत में चुनौती दी गई है. आम लोगों की जिंदगी में झांकने के पीछे आखिर शहबाज शरीफ का प्लान आखिर क्या है. आइए आपको बताते हैं. 


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दरअसल ये अधिसूचना लागू हो जाती तो आने वाले वक्त में पाकिस्तान में किसी मियां-बीवी के जोड़े के बीच क्या बात हुई, शहबाज शरीफ को सब पता चल जाता. किसने किसको क्या मैसेज किया, ISI के राडार से फौज के सुप्रीमो मुनीर को लोगों के हर राज की सब जानकारी मिल जाती. अब नोटिफिकेशन आने के बाद लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या छोटे 'मियां शरीफ' 24 करोड़ पाकिस्तानियों को गुलाम बनाना चाहते हैं, जिनके कोई मानवाधिकार नहीं होते? दरअसल अब ये सवाल हर पाकिस्तानी के जेहन में कौंध रहा है. क्योंकि, शहबाज शरीफ ने ISI को वो शक्ति दे दी थी, जिसके जरिये अब ISI आम पाकिस्तानी की निजी जिंदगी में जब चाहे ताक-झांक कर सकेगी. 


पाकिस्तान में चौंकाने वाला फैसला


  • शरीफ सरकार ने पाकिस्तान टेलिकॉम्यूनिकेशन एक्ट 1996 के तहत एक अधिसूचना जारी की है. जिसमें ISI को किसी भी पाकिस्तानी की कॉल इंटरसेप्ट करने का अधिकार किया गया है. 

  • ISI किसी भी पाकिस्तानी की कॉल सुन सकेगी, रिकॉर्ड कर सकेगी और एक दूसरे को किये जाने वाले मैसेज भी पढ़ सकेगी

  • नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 18वें ग्रेड से ऊपर के अधिकारी के निर्देश पर किसी की कॉल इंटरसेप्ट की जा सकेगी.


भड़क गया विपक्ष


शरीफ सरकार के इस फैसले को लेकर पाकिस्तान के विपक्षी नेता भड़क गए हैं, इमरान की पार्टी के नेता उमर अयूब ने तंज कसते हुए कहा है, 'ISI को अब कॉल इंटरसेप्ट की इजाजत देकर शहबाज शरीफ ने अपना गला खुद ही काट लिया है. PM शहबाज शरीफ ने खुद ब्लेड लेकर गला अपना गला काटा है. खुद फांसी के फट्टे पर चढ़कर इन्होंने फंदा अपना गले में डाला है. ये बात याद रखिएगा, जितने MNA हैं. वो काले कानून के तहत ही आ रहे होंगे.'


अवाम का रुख देखने लायक होगा


शरीफ सरकार का कहना है कि ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र किया गया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि सरकार का मकसद सिर्फ आम लोगों की कॉल सुनना नहीं होगा, बल्कि इसके पीछे कोई बड़ा खेल होगा. अब शहबाज शरीफ की इस क्रिया की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है. क्योंकि बहुत हद तक मुमकिन है कि शरीफ सरकार के इस तानाशाही भरे फैसले के खिलाफ पाकिस्तानी अवाम कहीं सड़कों पर न उतर आए.