China Submarine Sank: वैसे तो चीन लंबे समय से खुद को आलमाइटी मानकर चल रहा है. वह अपने सामने किसी भी देश की औकात को नहीं मानता. लेकिन कुछ साल पहले ही कोरोना ने उस पर कहर बरपाया. अब इसी कड़ी में उसके साथ एक और वुहान कांड हो गया है. चौंकाने वाली बात यह रही कि इस मामले में भी उसने काफी कुछ छिपाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी सच दुनिया ने देखा. हुआ यह कि चीन का बहुत बड़ा परमाणु पोत समंदर में डूब गया. यह घटना मई जून में ही हो गई थी लेकिन अब जाकर सामने आई है. जैसे ही अमेरिका ने इस बात की पुष्टि की..पूरी दुनिया में इसकी चर्चा होने लगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

असल में अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैक्सार टेक्नोलॉजीज की सैटेलाइट की मदद से सामने आया कि झाउ-श्रेणी सबमरीन को 10 मार्च को वुहान के पास शिपयार्ड में देखा गया था. फिर 16 मई को भी इसे देखा गया, लेकिन जून के आखिर सप्ताह में यह वहां नहीं दिखा. अब जाकर अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि चीन की सबसे आधुनिक परमाणु पनडुब्बी, जिसे हाल ही में तैयार किया गया था, समंदर में डूब गई है.


अमेरिका ने क्या दावा किया है?


यह घटना मई जून के बीच में वुचांग शिपयार्ड में हुई, जो वुहान के पास स्थित है. दावा है कि चीन की सरकार ने इसे छिपाने का प्रयास किया, लेकिन यह जानकारी सार्वजनिक हो गई. बताया गया कि घटना के वक्त पनडुब्बी एक पियर के पास खड़ी थी. इसमें परमाणु ईंधन मौजूद था या नहीं, इस पर अब भी संदेह है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा भी हो सकता है. 


चीन ने नहीं की सुरक्षा जांच


अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीन ने इस घटना के बाद आसपास के पानी या क्षेत्र की रेडिएशन जांच नहीं की है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस घटना को अब तक सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है. इस घटना का पहला संकेत तब मिला जब अमेरिकी विश्लेषक थॉमस शुगार्ट ने सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ असामान्य गतिविधियों को देखा. उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इसमें परमाणु पनडुब्बी शामिल है.


चीन की सैन्य क्षमता पर सवाल


अमेरिकी रक्षा अधिकारियों ने इस घटना और इसके आसपास की पारदर्शिता की कमी पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इससे चीन की सेना की प्रशिक्षण और उपकरण गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं. इसके अलावा, PLA के आंतरिक अनुशासन और चीन की रक्षा उद्योग में भ्रष्टाचार की समस्याओं का भी संकेत मिलता है.


चीन के परमाणु बेड़े पर असर


पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक चीन के पास छह परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां, छह परमाणु हमलावर पनडुब्बियां और 48 डीजल पनडुब्बियां थीं. यह संख्या 2025 तक 65 और 2035 तक 80 हो सकती है. लेकिन इस नई पनडुब्बी के डूबने से चीन के परमाणु बेड़े के विस्तार की योजनाओं को बड़ा झटका लग सकता है.