इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बुधवार को ईशनिंदा की दोषी एक ईसाई महिला की फांसी की सजा को पलटते हुए उसे बरी कर दिया जिसके बाद देश भर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. 


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अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में 2010 में चार बच्चों की मां आसिया बीबी (47) को दोषी करार दिया गया था. उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया हालांकि बीते आठ वर्ष में उन्होंने अपना अधिकतर समय एकांत कारावास में बिताया.


पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है तथा आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. आसिया के मामले को लेकर पाकिस्तान में अलग-अलग विचार रहे हैं जहां विवादास्पद ईशनिंदा कानून को मजबूत समर्थन प्राप्त है. पूर्व सैन्य तानाशाह जियाउल हक ने 1980 के दशक में ईशनिंदा कानून लागू किया था. इन कानूनों के तहत दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है.


पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार सुबह अपना फैसला सुनाया. पीठ ने इस नतीजे पर पहुंचने के करीब तीन सप्ताह बाद इस संबंध में फैसला सुनाया. फैसला आने में हो रही देरी को देखते हुए ईशनिंदा विरोधी प्रचारकों ने प्रदर्शन की धमकी दी थी.


निसार ने फैसले में कहा,‘याचिकाकर्ता की तरफ से कथित ईशनिंदा मामले में अभियोजन की तरफ से पेश साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट है कि अभियोजन अपने मामले को साबित करने में विफल रहा है.’ उन्होंने कहा कि बीबी अगर अन्य मामलों में वांछित नहीं हैं तो लाहौर के निकट शेखुपुरा जेल से उन्हें तुरंत रिहा किया जा सकता है.


निसार ने फैसला पढ़ते हुए कहा,‘उनकी दोष सिद्धि को खारिज किया जाता है और अन्य मामलों में अगर जरूरत नहीं है तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए.’ न्यायाधीश ने कहा,‘इस्लाम में सहिष्णुता मूल सिद्धांत है.’ उन्होंने कहा कि धर्म अन्याय और अत्याचार की निंदा करता है.


इस्लामाबाद में हुए प्रदर्शन
हिंसा की आशंका को देखते हुए इस्लामाबाद में सुनवाई के दौरान कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे. फैसले के बाद पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन हुए. इस्लामाबाद पुलिस की घोषणा के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने राजधानी इस्लामाबाद को सैन्य शहर रावलपिंडी से जोड़ने वाले राजमार्ग और एक पुराने हवाईअड्डे को बाधित किया.


पुलिस के अनुसार देश की सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब में हाई अलर्ट की चेतावनी दी गई थी और इसके गृह विभाग ने 10 नवंबर तक सभी तरह की जनसभाओं पर प्रतिबंध लगाया है.


लाहौर में भी हुए प्रदर्शन
इस्लामी राजनीतिक दल तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान की अगुवाई में लाहौर में प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन के तहत काफी बड़ी संख्या में इसके कार्यकर्ता माल रोड पर इकट्ठा हुए. सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि धार्मिक पार्टियों से संबद्ध समूहों ने कराची और अन्य शहरों में भी प्रदर्शन किए.


जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के प्रमुख फजलूर रहमान ने इस फैसले की निंदा की और आरोप लगाया कि यह फैसला अज्ञात ‘विदेशी ताकतों’ से प्रेरित है. ऐसी खबरें है कि बीबी को बरी किए जाने के विरोध में विभिन्न जगहों पर मस्जिदों ने लोगों को सड़कों पर उतरने को कहा. चरमपंथियों के प्रदर्शन के बावजूद सोशल मीडिया पर इस फैसले को खूब सराहा जा रहा है.


बीबी के वकील सैफुल मुलूक ने मीडिया को बताया कि यह उनके जीवन का ‘सबसे खुशनुमा दिन’ है. बीबी पर 2009 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और 2010 में निचली अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनायी थी जिसे 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था.


(इनपुट - भाषा)