इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अफगानिस्तान में भारत के लिए किसी भूमिका को सोमवार (9 अक्टूबर) को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि भारत को युद्ध प्रभावित देश में उतारने की ट्रंप प्रशासन की इच्छा ‘‘घातक’’ होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत अगस्त में अपनी दक्षिण एशिया नीति पेश की थी और भारत एवं अफगानिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता जतायी थी. ट्रंप ने अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता लाने के लिए भारत की भूमिका बढ़ाने की बात कही थी.


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अरब न्यूज ने अब्बासी के हवाले से कहा, ‘‘हम नहीं मानते कि पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में भारत को लाने से कुछ भी हल करने में मदद मिलेगी, विशेष रूप से अफगानिस्तान में जहां हम भारत के लिए कोई भूमिका नहीं देखते. भारत का अमेरिका के साथ एक संबंध है. वह उनके और अमेरिका के बीच है.’’ उन्होंने सऊदी अरब के समाचार पत्र से साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में एक ऐसे समाधान के जरिए शांति चाहता है जो ‘‘अफगानों का और अफगानों के नेतृत्व में हो.’’


अब्बासी ने चेतावनी दी कि भारत को अफगानिस्तान में उतारने की अमेरिका की इच्छा घातक होगी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ‘‘अमेरिका के साथ किसी अन्य देश की तरह ही बराबर का संबंध या साझेदारी चाहता है.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के अपनी सेना एवं अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिका पर निर्भर रहने के दिन समाप्त हो चुके हैं. दुनिया को आतंकवाद से मुकाबले में पाकिस्तान के प्रयासों की पहचान करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना में प्रमुख रूप से अमेरिकी हथियार प्रणालियां हैं लेकिन उसके पास चीनी और यूरोपीय प्रणालियां भी हैं और हाल में उसने रूसी हमलावर हेलीकॉप्टर भी शामिल किये हैं.


अमेरिका ने कहा, पाकिस्तान की वजह से अफगानिस्तान में कोई भारतीय सैनिक नहीं


इससे पहले अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस ने कहा था कि अफगानिस्तान में अपने सैनिक न भेजने का भारत का फैसला पाकिस्तान की चिंताओं की वजह से है क्योंकि इससे क्षेत्र में नयी जटिलताएं पैदा होंगी. मैटिस ने सदन की सशस्त्र सेवा समिति में सांसदों के समक्ष अफगानिस्तान की मदद में भारत के योगदान की सराहना की और कहा कि नयी दिल्ली ने अफगानिस्तान की मदद करने की दिशा में समग्र रवैया अपनाया है. उन्होंने दक्षिण एशिया पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसद डग लैम्बोर्न के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘यह वास्तव में एक बहुत ही समावेशी रवैया है जो भारत अपना रहा है. आप देखेंगे कि मैंने भारतीय सैनिकों का विकल्प पाकिस्तान के लिए उत्पन्न होने वाली जटिलता की वजह से छोड़ दिया.’ 


मैटिस ने कहा, ‘हम इसे एक समावेशी रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं और हम नहीं चाहते कि वे (पाकिस्तान) अपने पश्चिमी मोर्चे पर तैनात भारतीय सैन्य कर्मियों को लेकर किसी भी तरह से खुद को असहज महसूस करें.’ अमेरिकी रक्षा मंत्री पिछले महीने भारत में थे और अपनी भारतीय समकक्ष निर्मला सीतारमण से बातचीत की थी. इस दौरान निर्मला ने अफगानिस्तान में भारतीय सैनिकों की तैनाती की किसी भी तरह की संभावना को खारिज करते हुए कहा था कि भारत वहां विकास संबंधी मदद मुहैया कराता रहेगा.