Russia Latest Updates: रूस में व्लादिमीर पुतिन भले ही चुनाव के जरिए राष्ट्रपति चुने जाने का दावा करते हों लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है. वे रूस में एकछत्र शासन करते हैं और उन्हें अपना दूसरा राजनीतिक प्रतिद्वंदी पसंद नहीं है. यहां तक कि प्रतिद्वंदी की मौत के बाद भी वे उससे दुश्मनी निभाना नहीं छोड़ते. ऐसे ही एक मामले में जेल में रहस्यमय तरीके से मारे गए विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की याद में शोक सभा आयोजित करवाना उन्हें गंवारा नहीं हुआ. सरकार के इशारे पर देश के ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख ने एक चर्च के पादरी को तीन साल के लिए निलंबित कर दिया.


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नवलनी की कब्र पर फूल चढ़ाने से भड़के पुतिन


रूस के ईसाई समाज की रूढिवादी परंपरा के तहत किसी व्यक्ति की मौत के 40 दिन बाद उसकी याद में कब्र पर फूल चढ़ाकर विशेष प्रार्थना की जाती है. नवलनी की मौत के 40 दिन पूरे होने पर 26 मार्च को मॉस्को में उसकी कब्र पर ऐसी ही एक शोक सभा की गई. इस शोक सभा को पादरी दिमित्री सफ्रोनोव ने संचालित किया था.


मॉस्को डायोसीज़ वेबसाइट पर मंगलवार को इस बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की गई, जिसमें बताया गया कि दिमित्री सफ्रोनोव पादरी के पद से हटाकर गीत पढ़ने वाले एक गायक का काम दे दिया गया. इसके साथ ही उनसे अगले 3 साल तक किसी को आशीर्वाद देने या कसाक नाम का चोगा पहनने पर भी बैन लगा दिया गया. 


पादरी का मॉस्को से बाहर करवा दिया ट्रांसफर 


यही नहीं, पादरी दिमित्री सफ्रोनोव को मौजूदा चर्च से हटाकर राजधानी मॉस्को के एक दूसरे चर्च में ट्रांसफर कर दिया गया. यह आदेश रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पैट्रिआर्क किरिल ने दिया है. किरिल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रमुख सहयोगी हैं. उन्होंने इस फैसले का कोई कारण नहीं बताया है. 


एलेक्सी नवलनी पिछले कई महीनों से रूस से सुदूरवर्ती ठंडे इलाके आर्कटिक पैनल कॉलोनी में बनी जेल में बंद थे. वहां पर वे आतंकवाद फैलाने के आरोपों में 19 साल जेल की सजा काट रहे थे. वहां पर 16 फरवरी को जेल में उनकी अचानक मौत हो गई. नवलनी की मौत कैसे हुई, यह आज तक रहस्य बना हुआ है. हालांकि उनके सहयोगियों ने इसके लिए क्रेमलिन को दोषी ठहराया है.


अपने करीबी चर्च प्रमुख से करवाया काम


रूसी अधिकारियों ने शुरू में आगे की जांच की आवश्यकता का हवाला देते हुए नवलनी के शरीर को घरवालों को देने से इनकार कर दिया था. बाद में नवलनी की टीम को बॉडी देने पर सहमति तो बनी लेकिन उन्हें शव ले जाने के लिए शव वाहन ढूंढने को संघर्ष करना पड़ा.


रूस में अपने 2 दशक से अधिक समय में पुतिन की सत्ता के दौरान  रूस के ऑर्थोडॉक्स चर्च की प्रतिष्ठा, पावर और धन में बहुत बढ़ोतरी हुई है. इसके बदले में चर्च के प्रमुख पैट्रिआर्क किरिल ने पुतिन के उठाए अनेक कदमों में उनका साथ दिया है. इनमें यूक्रेन युद्ध भी शामिल है, जिसमें आर्थोडॉक्स चर्च के पादरी ने पोप की अपील ठुकराते हुए खुलकर पुतिन का पक्ष लिया है. 


(एजेंसी पीटीआई)