Pfizer CEO Albert Bourla: अमेरिका बेस्ड कोरोनावायरस वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बार्लो जरूरी सवालों से भागते नजर आए. दावोस में फाइजर सीईओ से कई सवाल पूछे गए जिनको उन्होंने अनसुना कर दिया. आपको बता दें कि भारत में भी फाइजर ने अपनी मनमानी शर्तों पर वैक्सीन बेचने की कोशिश की थी लेकिन फाइजर को कामयाबी हासिल नहीं हुई. ये खुलासा आज भारत में वैक्सीन टास्क फोर्स के सदस्य डॉ एन के अरोड़ा ने ज़ी मीडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में किया है. डॉ अरोड़ा के मुताबिक फाइजर और मॉडर्ना ने भारत को ऐसे समय पर वैक्सीन बेचने की पेशकश की थी जब हर देश को वैक्सीन की दरकार थी लेकिन उनकी शर्तें मानने लायक ही नहीं थी. M-RNA तकनीक से बनी फाइजर ने नई टेक्नोलॉजी का हवाला देते हुए वैक्सीन की कीमत काफी ज्यादा रखी थी. 100 करोड़ वैक्सीन लगवाने वाले देश में केवल 1 करोड़ डोज देने की बात कर रहे थे.


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पत्रकार के सवालों से भागे फाइजर के सीईओ


दी रिबेल न्यूज ने इससे जुड़ा एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से साझा किया है. वीडियो में पत्रकार फाइजर के सीईओ से सवाल करता हुआ नजर आ रहा है. पत्रकार के सवालों को अनसुना करते हुए अल्बर्ट बार्लो 'थैंक्यू सो मच' बोलते हुए आगे निकल जाते हैं.



कंपनी की अजीबोगरीब शर्तें


आपको बता दें कि यह वैक्सीन -60 डिग्री के तापमान पर स्टोर करने पर ही कारगर साबित होती है. भारत जैसे गर्म देश में इसे स्टोर करने और ट्रांसपोर्ट करने की ज्यादा मुश्किलें आती हैं. इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी साफ किया था कि विदेशी कंपनियां कोरोना की मजबूरी का फायदा उठाने के चक्कर में उल्टी सीधी शर्तें लगा रही थी. शर्तों के अनुसार अगर वैक्सीन से कोई दिक्कत होती है तो कंपनी का कोई लेना देना नहीं होगा. विदेशी कंपनियों ने इसे Indemnity Against Liability Clause भी रखा यानी वैक्सीन की वजह से कोई साइड इफेक्ट हो जाए या वैक्सीन की वजह से किसी की मौत हो जाए तो कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी. फाइजर कंपनी की शर्त थी कि उन्हें Sovereign Immunity Waiver मिले. मोटे तौर पर इस Waiver का मतलब ये है कि भारत के कानून के तहत कंपनी पर कोई केस नहीं चलाया जा सकेगा. ऐसे में भारत ने मुश्किल फैसला लेते हुए खुद की वैक्सीन बनाने पर काम किया था.


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