Philippines Divorce Bill: इस देश में तलाक देना है अवैध, विरोध में उठी आवाज कि रिश्ता हो बीमार तो कैसे हो इलाज
फिलीपींस में महिलाओं का कहना है कि अगर रिश्ता बोझ बन जाए तो अलग क्यों नहीं हो सकते. क्यों हम रिश्तों को बोझ की तरह ढोते रहें. लेकिन मुश्किल की बात यह है कि तलाक को यहां अवैध माना गया है. हालांकि महिलाओं के मुखर विरोध के बाद तलाक के समर्थन में राष्ट्रपति फर्डीनांड मार्कोस का रुख लचीला है.
Philippines Divorce: अगर रिश्ता बीमार तो मिलना चाहिए इलाज, तलाक के समर्थन में इस देश की महिलाएंदुनिया का कोई भी हिस्सा हो, कम पढ़ा लिखा हो या ज्यादा. शादी को पवित्र रिश्ता माना जाता है. ऐसा कहा भी जाता है कि शादियां तो स्वर्ग में तय होती हैं. यह बात अलग है कि जमीन पर शादियों के टूटने की संख्या में इजाफा हुआ है. तलाक एक व्यवस्था है जिसके तहत पति-पत्नी एक दूसरे से अलग होते हैं. इन सबके बीच हम एक ऐसे देश फिलीपींस का जिक्र करेंगे जहां तलाक अवैध है. लेकिन वहां पर तलाक के समर्थन में महिलाएं आवाज उठा रही हैं. बता दें कि वेटिकन सिटी के बाद फिलीपींस में तलाक को अवैध माना गया है. महिलाओं की मुहिम को चर्च के खिलाफ भी माना जा रहा है क्योंकि शादी जैसे मामलों में सरकार पर चर्च का दबाव है.
यह व्यथा सिर्फ मैरी और हैदी की नहीं
भाष्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मैरी नेपोमुसोनो अपने पति से करीब 15 साल से अलग रह रही हैं. लेकिन कानूनी तौर पर वो अलग नहीं हैं. वजह यह है कि फिलीपिंस में तलाक लेना गैर कानूनी है. कुछ ऐसी ही व्यथा 39 साल की हैदी सांचेज की भी है. वो अपनी पीड़ा कुछ इस तरह व्यक्त करती हैं, ' जिस शख्स ने कभी परिवार की देखभाल तक नहीं की, खोजखबर नहीं ली उसकी टाइटल के बोझ के साथ जी रही हूं. उसकी पहचान से खुद को आजाद करना चाहती हूं. अब आप बताएं कि रास्ता क्या है. क्या हमें ऐसे रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहिए जिसमें सिर्फ घुटन हो, क्या पति के नाम को इस लिए साथ लेकर चलना चाहिए कि उससे शादी हुई. पति की जिम्मेदारी भी तो पत्नी और परिवार के प्रति है. एक ऐसी व्यवस्था जो नारकीय जिंदगी से आजादी ना दिला सके. एक ऐसी व्यवस्था जिसमें दोनों पार्टनर तिल तिल कर मरें वो तो तिलांजलि के लायक है.बता दें कि यह व्यथा सिर्फ मैरी और हैदी की नहीं है. हजारों की संख्या में महिलाएं उस बोझे को उठा रही हैं जिससे आजाद होना चाहती हैं. अब सवाल यह है कि फिलीपिंस कि व्यवस्था किस तरह की है.
फिलीपींस में चर्च का जोर
बता दें कि फिलीपिंस में कैथोलिक ईसाइयों की तादाद 80 फीसद से अधिक है. तलाक को लेकर चर्चों का नजरिया भी सख्त है. चर्च नहीं चाहते कि तलाक जैसी व्यवस्था को बढ़ावा मिले. उनका मानना है कि तलाक की वजह से पारिवारिक व्यवस्था तबाह होता है. लेकिन उसका एक पक्ष यह भी है कि पुरुषवादी मानसिकता से पीड़ित महिलाएं इस तरह की व्यवस्था से आजादी चाहती हैं. सवाल यह है कि फिलीपिंस सरकार का रुख क्या है.बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर का रुख थोड़ा लचीला है. तलाक के संबंध में सीनेटर रीसा और उनके कुछ सहयोगियों ने संसद में बिल पेश किया था. निचले सदन से इसे मंजूरी मिल चुकी है और अब ऊपरी सदन से मंजूरी का इंतजार है. सीनेटर रीसा ने अपने तर्क में कहा था कि जिंदगी तो प्यार, खुशी और दूसरे को मौका देने से जुड़ा हुआ है. आखिर पती या पत्नी दोनों एक दूसरे की व्यक्तिगत पसंद नापसंद को प्रभावित कैसे कर सकते हैं.
क्या है डिवोर्स फिलीपीना संगठन
करीब 9 साल पहले पति से अलग रह रहीं ए जे अल्फाफारा ने डिवोर्स फिलीपीना संगठन बनाया है. इसमें करीब पांच लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं. वो अपने तर्क में कहती हैं कि तलाक को अवैध रखने का मतलब यह है कि एक तरफ पति अपने पत्नियों के साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं तो दूसरी तरफ उनकी संपत्ति में हिस्सा लेने की ख्वाहिश रखते हैं और यही दर्द देने वाली बात है. अगर रिश्ता बीमार है तो उसे इलाज मिलना चाहिए. महिलाओं की मांग पर सीनेटर एडसेल लेगमैन का कहना है कि चर्च के अधिकारी भी विरोध नहीं कर पा रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि हमें तनावभरे रिश्तों से निकलने के लिए आगे बढ़ना चाहिए.