Antarctica में पिछले 3 महीने में आए 30 हजार से ज्यादा Earthquake, वजह जानने में जुटे वैज्ञानिक

अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप का ये इलाका ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से तेजी से गर्म इलाके के रूप में बदल रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों की नजर इस जगह पर लगातार बनी हुई है. ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) भी अंटार्कटिका (Antarctica) में भूकंप (Earthquake) का कारण माना जा रहा है.

Dec 18, 2020, 13:25 PM IST
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अंटार्कटिका में पिछले 3 महीने में 30 हजार से ज्यादा भूकंप

अंटार्कटिका (Antarctica) में पिछले 3 महीने में तीस हजार से ज्यादा बार भूकंप (Earthquake) आ चुका है. इसका खुलासा चिली की यूनिवर्सिटी के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने किया है. यूनिवर्सिटी के नेशनल सीस्मोलॉजिकल सेंटर में स्टडी कर रहे वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप के ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) में आए भूकंप की तीव्रता 6 थी. (फोटो साभार: रॉयटर्स)

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ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट की टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल

बता दें कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) अंटार्कटिक (Antarctica) महाद्वीप और दक्षिणी शेटलैंड आइलैंड्स के बीच मौजूद है. इस खाड़ी की चौड़ाई लगभग 96 किलोमीटर है. ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) के पास कई माइक्रोप्लेट्स और बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं. दावा किया गया है कि इनमें टकराव और घर्षण के कारण ही पिछले तीन महीने में अंटार्कटिका (Antarctica) में भूकंप आ रहे हैं. (फोटो साभार: रॉयटर्स)

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लगातार बड़ी हो रही ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट हो सकता है भूकंप का कारण

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) हर साल 15 सेंटीमीटर यानी 6 इंच तक बड़ा हो जाता है. इस वजह से ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट के नीचे की माइक्रोप्लेट्स और टेक्टोनिक प्लेट्स में काफी ज्यादा घर्षण होता है और भूकंप आते हैं. (फोटो साभार: रॉयटर्स)

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अंटार्कटिका और शेटलैंड आइलैंड्स के बीच तेजी से बढ़ रही दूरी

चिली की यूनिवर्सिटी के नेशनल सीस्मोलॉजिकल सेंटर के डायरेक्टर सर्जियो बैरिनटोस के मुताबिक, अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप की ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) पहले से लगभग 20 गुना तक बड़ी हो चुकी है. इस वजह से अंटार्कटिका (Antarctica) और शेटलैंड आइलैंड्स के बीच तेजी से दूरी बढ़ रही है. (फोटो साभार: रॉयटर्स)

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ग्लोबल वार्मिंग का अंटार्कटिका पर बुरा असर

दरअसल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप का ये इलाका तेजी से गर्म इलाके के रूप में बदल रहा है. इसलिए वैज्ञानिकों की नजर इस जगह पर लगातार बनी हुई है. यहां की बर्फ और ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण पिघलकर रहे हैं. (फोटो साभार: Getty Images)

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अंटार्कटिका पर एल्गी होने से मिले सबूत

जान लें कि कहीं भी एल्गी यानी काई तब पैदा होती है जब उस जगह का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है. अंटार्कटिका (Antarctica) की इस घटना पर नजर रखने के लिए यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने पिछले 2 साल में यहां की कई तस्वीरें ली हैं. जिनमें दिख रहा है कि अंटर्कटिका के इस हिस्से में काई पनप गई है. अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप पर 1679 अलग-अलग जगहों पर वैज्ञानिकों को हरे रंग की बर्फ के सबूत मिले हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग भी अंटार्किटिका पर बार-बार आ रहे भूकंपों का कारण हो सकता है. (फोटो साभार: रॉयटर्स)

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सैंटियागो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने किया अलग दावा

वहीं अंटार्कटिका (Antarctica) में लगातार आ रहे भूकंपों (Earthquake) पर सैंटियागो यूनिवर्सिटी के एनवायरनमेंट साइंटिस्ट रॉल कॉर्डेरो ने बताया कि अंटार्कटिका (Antarctica) में भूकंप की वजह अभी स्पष्ट नहीं है. ग्लेशियर भूकंप (Earthquake) की वजह से टूटे या फिर ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघले इसका पता लगाया जा रहा है. प्रमाणिकता से अभी इसकी वजह का दावा कोई भी नहीं कर सकता है. (फोटो साभार: Getty Images)

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