Monkey Buffet Festival: यहां बंदरों के लिए लगता है खास बुफे, 42 साल से हो रही पार्टी; दिल खुश कर देंगी ये तस्वीरें
Thailand Monkey Buffet Festival: आपने इंसानों के लिए शानदार और ग्रांड बुफे पार्टी के बारे में जरूर सुना होगा. हो सकता है कि आप ऐसी किसी पार्टी का हिस्सा भी रहे हों. लेकिन क्या आपने कभी जानवरों की बुफे पार्टी देखी है. दरअसल आज आपको जिस पार्टी के बारे में बताने जा रहे हैं, यकीन मानिए बहुत से लोग उसके बारे में नहीं जानते होंगे. यहां पर बात थाइलैंड (Thailand) की राजधानी बैंकॉक (Bangkok) से करीब 150 KM दूर उस शहर की जिसका नाम लोपबुरी है. जहां पिछले 42 सालों से लगातार एक त्योहार मनाया जा रहा है जिसे `मंकी बुफे फेस्टिवल` (Lopburi Monkey Buffet Festival) कहते हैं.
दुनियाभर के कुछ लोगों ने सदियों से अपनी मान्यताओं और परंपराओं को बचाकर रखा है और आजतक उनका पालन कर रहे हैं. हालांकि अधिकतर मामलों में ऐसी मान्यताएं धर्म से जुड़ी होती हैं. वहीं कई बार किसी और कारण से, मगर जब कई दशकों से उनका पालन लगातार होता चला जाए तो वो लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाती हैं. ऐसी ही परंपरा एक थाई शहर की है जहां पर हर साल बंदरों के लिए जबरदस्त बुफे पार्टी का आयोजन किया जाता है.
थाइलैंड का मंकी बुफे फेस्टिवल (Monkey Buffet Festival Thailand) इस देश में किसी त्योहार (Thailand festival of monkeys) से कम नहीं है. जिसमें बंदरों के लिए शादियों की तरह से बुफे (Monkey Bufet) लगता है.
'डेली मेल' में प्रकाशित रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंकॉक (Bangkok, Thailand) के लोपबुरी (Lopburi) में 1980 से हर साल एक त्योहार मनाया जाता है जिसे ‘मंकी बुफे फेस्टिवल’ (Lopburi monkey festival) कहते हैं. इस ग्रांड मंकी पार्टी की खासियत ये है कि इसमें किसी बड़े जलसे की तरह तैयारी होती है, बुफे में खाने का इंतजाम किया जाता है, सजावट होती है.
इस पार्टी में खाने के लिए फलों से लेकर कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम तक होती है. मगर ये सब कुछ इंसानों के लिए नहीं, बंदरों के लिए होता है. और इस पूरे आयोजन में लाखों रुपये का खर्चा आता है.
यहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि उन्होंने अपने घर के बुजुर्गों से सुना है कि इस त्योहार की शुरुआत यहीं के एक व्यापारी ने की थी. उसका मानना था कि लोपबुरी में बंदरों की संख्या ज्यादा होने की वजह से यहां काफी सैलानी आते थे और उन्हें खाना खिलाते थे. जैसे जैसे टूरिस्टों की तादाद बढ़ती गई, वैसे ही व्यापारी का बिजनेस भी बढ़ता गया. ऐसे में उसने बंदरों को अपने मुनाफे की रकम से पार्टी देना शुरू कर दिया जिससे ज्यादा से ज्यादा बंदर उस शहर में हमेशा की तरह किसी जंगल की तरह बस जाएं.
साल 2019 तक तो सब सही था लेकिन 2020 में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में यहां के बंदरों पर भी संकट आ गया. मुताबिक दुनियाभर से यहां पर्यटक घूमने आते थे जो बंदरों को खाने-पीने की चीजें दे देते थे जिससे उनका पेट पल जाता था. समय खराब हुआ तो उनके सामने भी भूखे रहने की नौबत आई तो उनकी आदतों में बदलाव आया और वो कुछ हिंसक होने लगे. बंदरों की आबादी की समस्या बढ़ी तो साल 2020 में कई बंदरों को स्टरलाइज किया लेकिन वो तरीका भी कुछ खास काम नहीं आ सका.
अगले साल यानी 2021 में भी हालात नहीं बदले तो तो बंदरों ने इस शहर के आम लोगों का जीना हराम कर दिया. हालांकि इस दौरान सरकार की ओर से इनके पेट भरने के लिए जो कुछ इंतजाम किया वो ऊंट के मुंह में जीरे जैसा था. इस परंपरा की शुरुआत 1980 के आखिरी महीनों में हुई थी. 42 सालों तक एक साथ रहने की वजह से बंदरों और इंसानों दोनों के लिए एक-दूसरे का जो डर था वो खत्म हो गया.
अब कोरोना महामारी से हालात सुधरने लगे हैं. पर्यटन पर आधारित थाईलैंड की इकोनॉमी भी गुलजार हो रही है. ऐसे में इस साल 2022 के लिए माना जा रहा है कि इस बार का मंकी बुफे फेस्टिवल (Monkey Buffet Festival) पहले से भी जबरदस्त हो सकता है.