इस देश में छपे थे भगवान राम की तस्वीर वाले नोट, 1 मुद्रा की इतनी थी कीमत

आप सभी ने गांधीजी की तस्वीर वाले नोट तो बहुत देखे होंगे. लेकिन अगर कोई आपसे पूछे कि भगवान राम की तस्वीर वाले नोट के बारे में क्या जानते हैं? तो ज्यादातर लोगों का जवाब `कुछ नहीं` ही होगा. तो चलिए आज हम आपको उस देश के बारे में बताते हैं जहां राम की तस्वीर वाले नोट छपे थे.

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राम करेंसी की हिस्ट्री

राम मुद्रा को अक्टूबर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका में महर्षि महेश योगी से जुड़े एक नॉन प्रोफिट आर्गेनाइजेशन द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP) द्वारा लॉन्च किया गया था. इस राम मुद्रा से उनके आश्रम के भीतर कोई भी व्यक्ति सामान खरीद सकता था. हालांकि इस मुद्रा का इस्तेमाल सिर्फ आश्रम के भीतर या फिर आश्रम से जुड़े सदस्यों के बीच ही किया जा सकता था. आश्रम के बाहर अन्य शहर में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था.

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साल 2002 में जारी की थी मुद्रा

GCWP का मुख्यालय आयोवा में महर्षि वैदिक शहर में स्थित है. इस संस्था ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, '24 फरवरी 2002 को वैदिक सिटी ने राम मुद्रा बांटना शुरू किया था. सिटी के आर्थिक विकास के लिए और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिटी काउंसिल ने राम मुद्रा का चलन स्वीकार किया था. कागज की 'एक राम मुद्रा' की कीमत 10 अमरीकी डॉलर तय की गई थी.

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इन जगहों पर चलती थी राम मुद्रा

बीबीसी की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2003 में नीदरलैंड में लगभग 100 दुकान, 30 गांव और साथ ही कई कस्बों के कुछ हिस्सों में ‘राम मुद्रा’ चलती थी. उस वक्त ‘डच सेंट्रल बैंक’ ने जानकारी देते हुए कहा था कि, हम ‘राम मुद्रा’ पर नजर बना कर रखते हैं. हमें उम्मीद है कि महर्षि महेश योगी की संस्था क्लोज ग्रुप में ही इस करेंसी का इस्तेमाल करेगी और कानून से बाहर जाकर कुछ नहीं करेगी.

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यहां चलते थे 1, 5 और 10 के राम नोट

उस वक्त राम की तस्वीर वाले 1, 5 और 10 के नोट जारी किए जाते थे, जो नीदरलैंड और अमेरिका की कुछ जगहों पर ही स्वीकार किए जाते थे. 

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1 राम मुद्रा की कीमत कितनी

राम मुद्रा को आमतौर पर वर्ड पीस बॉन्ड के रूप में जाना जाता था. यूरोप में यह 10 यूरो के बराबर था. जबकि अमेरिका में यह 10 डॉलर हो जाता था.

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नहीं मिला लीगल टेंडर

कहा जाता है कि 24 फरवरी 2002 से राम मुद्रा के लेनदेन की शुरुआत हुई. वैदिक सिटी के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए अमेरिकी सिटी काउंसिल ने इस मुद्रा को स्वीकार तो किया लेकिन कभी इसे लीगल टेंडर नहीं दिया. यानी अमेरिका और नीदरलैंड के सेंट्रल बैंकों ने कभी राम मुद्रा को लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) नहीं माना.

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कौन हैं महर्षि योगी

महर्षि महेश योगी छत्तीसगढ़ राज्य में पैदा हुए थे. उनका असल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होंने फिजिक्स में उच्च शिक्षा लेने के बाद शंकराचार्य ब्रह्मानन्द सरस्वती से दीक्षा ली थी. इसके बाद उन्होंने विदेश में अपना प्रचार-प्रसार किया था. खासकर उनका भावातीत ध्यान (Transcendental Meditation) विदेश में काफी लोकप्रिय है. वर्ष 2008 में उनकी मृत्यु हो गई थी.

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