PM Narendra Modi Uttarakhand Visit: पीएम नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे पर नेपाल के एक सांसद ने आपत्ति जताई है. पीएम मोदी गुरुवार को पिथौरागढ़ के आदि कैलाश और धारचूला के गुंजी गांव गए थे. नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष और सांसद रबि लामिछाने (Rabi Lamichhane) ने पीएम मोदी के इस दौरे को नेपाल की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है. उन्होंने दावा किया कि मोदी ने जिस क्षेत्र की यात्रा की वह नेपाल का हिस्सा है.


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'नेपाल की सार्वभौमिकता का उल्लंघन'


नेपाली सांसद रबि लामिछाने (Rabi Lamichhane) ने नेपाल सरकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दार्चुला जिले के गुंजी गांव की यात्रा (PM Narendra Modi Uttarakhand Visit) के बारे में संसद को जानकारी देने को कहा. उन्होंने कहा कि दार्चुला और गुंजी दोनों नेपाल का हिस्सा हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने वहां का दौरा कर नेपाल की सार्वभौमिकता का उल्लंघन किया है. 


'पीएम मोदी ने हमारे क्षेत्र का दौरा किया'


लामिछाने (Rabi Lamichhane) ने प्रतिनिधि सभा (नेपाली संसद) में कहा, ‘हमें मीडिया और आधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि पड़ोसी देश भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे क्षेत्र का दौरा किया है.’ उन्होंने कहा, ‘जब भारत के प्रधानमंत्री नेपाली क्षेत्र में पहुंचे तो हमारी सरकार ने उनका स्वागत नहीं किया और न ही संसद को सूचित किया.’



'नेपाल का हिस्सा है गुंजी और दार्चुला'


लामिछाने ने कहा कि मोदी कुटी गुंजी (PM Narendra Modi Uttarakhand Visit) पहुंचे, जो संसद द्वारा मंजूर नए राजनीतिक मानचित्र के अनुसार नेपाली क्षेत्र में स्थित है. दार्चुला के मुख्य जिला अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने दावा किया कि मोदी ने जिस क्षेत्र की यात्रा की वह नेपाल का हिस्सा है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को सीमावर्ती पिथौरागढ़ जिले में आने वाले गांव गुंजी का दौरा किया था, जहां पर उन्होंने स्थानीय लोगों और सुरक्षा कर्मियों से बातचीत की. उन्होंने स्थानीय उत्पादों की एक प्रदर्शनी भी देखी. 


आखिर क्या है माजरा?


इससे पहले चीन समर्थक केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्रित्वकाल में नेपाल की संसद ने जून 2020 में देश के एक नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी (India Nepal India Border Dispute) दी थी. इस नक्शे में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया था, जिन्हें भारत अपना मानता है. नेपाल की ओर से यह मानचित्र जारी करने के बाद भारत ने उसे एकतरफा कदम बताते हुए आलोचना की थी. भारत ने काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का मनगढंत तरीके से विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं है. 


(एजेंसी भाषा)